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उत्तराखंड में शिक्षा संकट: 9810 पद रिक्त, डेढ़ लाख छात्र-छात्राएं लाचार; शिक्षकों की हड़ताल से पठन-पाठन ठप

देहरादून, रविवार (24 अगस्त 2025): गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा के दावों के बीच उत्तराखंड की हकीकत बेहद चिंताजनक है। प्रदेश के सरकारी हाईस्कूलों और इंटर कॉलेजों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की भारी कमी से पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। हालात यह हैं कि करीब 1.5 लाख छात्र-छात्राएं शिक्षक संकट और हड़ताल की मार झेल रहे हैं।


रिक्तियों का पहाड़

राज्य में इस समय 9810 शिक्षकों के पद खाली हैं, जिनमें प्रधानाचार्य, प्रधाध्यापक, एलटी और प्रवक्ता शामिल हैं। आंकड़े बताते हैं कि 1385 राजकीय इंटर कॉलेजों में से 1180 में नियमित प्रधानाचार्य नहीं हैं, जबकि 910 हाईस्कूलों में से 830 में प्रधानाध्यापक का पद रिक्त है।
इंटर कॉलेजों में सहायक अध्यापक (एलटी) के 3055 और प्रवक्ता के 4745 पद खाली पड़े हैं।


शिक्षकों की नाराजगी और हड़ताल

राजकीय शिक्षक संघ ने पदोन्नति को लेकर नाराजगी जताते हुए 18 अगस्त से चाकडाउन कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक का प्रभार देख रहे शिक्षकों ने भी प्रभारी पद से त्यागपत्र दे दिया है।
स्थिति यह है कि शिक्षकों की कमी से जूझते स्कूलों में पठन-पाठन लगभग ठप हो गया है।


पदोन्नति और कानूनी अड़चनें

शिक्षक संघ की मुख्य मांग है कि प्रधानाचार्य के सभी पद 100 प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाएं। जबकि सरकार ने फार्मूला तय किया है कि 50% पद विभागीय सीमित भर्ती परीक्षा और 50% पद पदोन्नति से भरे जाएंगे।
यह फार्मूला शिक्षक संघ को स्वीकार नहीं है। पदोन्नति में वरिष्ठता विवाद और स्थानांतरण को लेकर कई मामले अदालत में लंबित हैं, जिससे प्रक्रिया आठ साल से अटकी हुई है।


छात्र बने असली पीड़ित

सरकार और शिक्षकों के बीच खींचतान का सबसे बड़ा खामियाजा 1,51,812 छात्रों को उठाना पड़ रहा है। कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों का पठन-पाठन पूरी तरह बाधित है। ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थी, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का सपना लेकर स्कूल आते हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।


भारी-भरकम बजट, लेकिन नतीजे कम

शिक्षा विभाग का सालाना बजट 7,500 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके बावजूद केंद्र सरकार के सर्वेक्षणों में उत्तराखंड की स्कूली शिक्षा लगातार पिछड़ती जा रही है। स्मार्ट क्लासरूम, वर्चुअल क्लास, पुस्तकालय और प्रयोगशालाओं की योजनाओं के बावजूद शिक्षक की कमी से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लक्ष्य अधूरा है।


सरकार का पक्ष

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा,
“शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। स्मार्ट क्लासरूम से लेकर वर्चुअल क्लासेस, आधुनिक पुस्तकालय और प्रयोगशालाएं विकसित की जा रही हैं। छात्रों को निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं। शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया गतिमान है और जल्द ही समाधान निकाला जाएगा।”

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