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Uttarakhand: 10 साल में बढ़ीं ग्लेशियर झीलें, क्षेत्रफल भी हुआ दोगुना – नया अध्ययन लाया चौंकाने वाला सच

देहरादून, शनिवार, 30 अगस्त 2025

उत्तराखंड के पहाड़ अब पहले से कहीं ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं। ताजा वैज्ञानिक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि राज्य में पिछले 10 वर्षों में ग्लेशियर झीलों की संख्या और क्षेत्रफल दोनों में खतरनाक बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव भविष्य में बड़े हादसों का कारण बन सकता है।


10 साल में बढ़ीं झीलें और उनका आकार

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी और दून विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में सामने आया कि 2013 में जहां 1266 ग्लेशियर झीलें थीं, उनकी संख्या 2023 में बढ़कर 1290 हो गई।
सबसे बड़ी चिंता इनका क्षेत्रफल है। 2013 में कुल क्षेत्रफल 75.9 लाख वर्ग मीटर था, जो अब बढ़कर 82.1 लाख वर्ग मीटर तक पहुंच गया है। यह साफ संकेत है कि बर्फ और ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।


मोरेन-डैम झीलें सबसे बड़ा खतरा

वैज्ञानिकों ने बताया कि मोरेन-डैम झीलें (बर्फ और पत्थरों से बनी झीलें) प्रदेश के लिए सबसे खतरनाक हैं। इनकी संख्या 10 साल में 19.2% और क्षेत्रफल 20.4% तक बढ़ा है।
आज उत्तराखंड की कुल 58% ग्लेशियर झीलें इन्हीं मोरेन-डैम झीलों की श्रेणी में आती हैं। विशेषज्ञों ने चेताया है कि यदि इन झीलों का पानी अचानक बह निकला तो सड़कें, पुल, गांव और जल विद्युत परियोजनाएं भारी खतरे में आ सकती हैं।


सुप्राग्लेशियल झीलों का बदलता स्वरूप

अध्ययन में सामने आया कि सुप्राग्लेशियल झीलें (ग्लेशियर की सतह पर बनने वाली) घटकर 2013 की 809 से 2023 में 685 रह गई हैं।
हालांकि, कई छोटी झीलें आपस में मिलकर बड़ी झीलों का रूप ले रही हैं। वर्ष 2023 में इनमें से 62% झीलें 800 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाली पाई गईं। ये झीलें ज्यादातर 4500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं।


किस जिले में कितनी ग्लेशियर झीलें?

जिला झीलों की संख्या
चमोली 571
उत्तरकाशी 430
पिथौरागढ़ 228
टिहरी 32
रुद्रप्रयाग 22
बागेश्वर 7
कुल 1290

शोध में पाया गया कि सबसे अधिक खतरा चमोली और उत्तरकाशी जिलों में मंडरा रहा है।


10 नदियों के बेसिन में झीलों की बढ़ोतरी

नदी बेसिन 2013 में झीलें 2023 में झीलें % वृद्धि
अलकनंदा 635 580 -8.7
भागीरथी 306 341 11.4
भिलंगना 22 29 31.8
धौलीगंगा 75 75 0
गोरीगंगा 92 93 1.1
कुथियांगति 45 51 13.3
मंदाकिनी 19 24 26.3
पिंडर 7 7 0
टोंस 52 73 40.4
यमुना 13 17 30.8

सबसे ज्यादा खतरे का क्षेत्र टोंस और भिलंगना नदी बेसिन में पाया गया है।


हिमाचल से ज्यादा संवेदनशील उत्तराखंड

तुलना में देखा गया कि हिमाचल प्रदेश में भले ही अधिक ग्लेशियर मौजूद हों, लेकिन वहां सुप्राग्लेशियल झीलों की संख्या केवल 228 है। जबकि उत्तराखंड में इनकी संख्या 685 तक पहुंच गई है।
इसका कारण है कि यहां तेज मानसूनी बारिश, कम अक्षांश और अपेक्षाकृत निचले स्तर पर मौजूद ग्लेशियर।


 वैज्ञानिकों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि यह सिलसिला जारी रहा तो आने वाले समय में उत्तराखंड को ग्लेशियर आपदाओं का गंभीर सामना करना पड़ सकता है।

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