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चमोली: प्रसूता की मौत के तीन दिन बाद नवजात की भी मौत, आक्रोशित परिजनों ने घेरा जिला अस्पताल

चमोली, 3 सितंबर 2025 (बुधवार)

उत्तराखंड के चमोली जिले में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। 31 अगस्त को जिला अस्पताल में प्रसव के दौरान एक महिला की मौत हो गई थी। अब तीन दिन बाद मंगलवार रात को नवजात शिशु ने भी दम तोड़ दिया। इस दोहरी त्रासदी के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने जिला अस्पताल का घेराव कर जमकर हंगामा किया।


वेंटिलेटर पर था नवजात, तीन दिन बाद तोड़ा दम

जानकारी के मुताबिक, महिला की मौत के बाद नवजात को गंभीर स्थिति में वेंटिलेटर पर रखा गया था। परिजनों को उम्मीद थी कि बच्चा बच जाएगा, लेकिन मंगलवार रात को नवजात ने अंतिम सांस ली। इससे शोकाकुल परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।


अस्पताल पर लापरवाही का आरोप, परिजनों ने किया घेराव

बुधवार को नवजात की मौत की खबर फैलते ही परिजन और स्थानीय जनप्रतिनिधि जिला अस्पताल पहुंच गए। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए और कहा कि नर्सों का व्यवहार बेहद अमानवीय है। लोगों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए घेराव किया।


हंगामे के बीच मौके पर पहुंचे अधिकारी

मामला बढ़ता देख जिलाधिकारी संदीप तिवारी, अपर जिलाधिकारी विवेक प्रकाश और एसडीएम चमोली आरके पांडेय मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने परिजनों से बातचीत कर मामले की जांच और न्याय दिलाने का भरोसा दिया।


जांच और मुआवजे की मांग

परिजनों ने प्रसूता और नवजात की मौत की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। साथ ही प्रभावित परिवार को मुआवजा देने पर जोर दिया। इस दौरान कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष गोविंद सजवाण ने भी प्रदर्शन में शामिल होकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अभिषेक गुप्ता के स्थानांतरण की मांग उठाई। उनका आरोप था कि सीएमओ न तो फोन उठाते हैं और न ही किसी मामले में उचित कार्रवाई करते हैं।


डीएम ने दिए निर्देश

जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि प्रसूता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही नर्सों को व्यवहार सुधारने के निर्देश दिए गए। लेबर रूम में शिकायत पुस्तिका रखने का आदेश भी जारी किया गया। इसके अलावा उपजिलाधिकारी को इस पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।


 चमोली में प्रसूता और नवजात की मौत ने एक बार फिर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन की जांच और कार्रवाई पीड़ित परिवार को कितनी राहत दिला पाती है।

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