देहरादून, 4 सितंबर 2025
उत्तराखंड सरकार के दावों और हकीकत में बड़ा अंतर साफ दिखाई दे रहा है। कुमाऊं मंडल में डॉक्टरों के 1039 स्वीकृत पदों में से 432 रिक्त हैं। कई सीएचसी (CHC) और पीएचसी (PHC) पूरी तरह डॉक्टरविहीन हैं।
कागज़ों में सब कुछ दुरुस्त, जमीनी हकीकत उलटी
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दावा किया है कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी नहीं है। लेकिन हकीकत यह है कि कुमाऊं के कई अस्पताल बिना चिकित्सकों के चल रहे हैं। संविदा डॉक्टरों पर चल रही स्वास्थ्य सेवाओं को भी सरकार ने करार विस्तार देने से इनकार कर दिया।
जनता सवाल कर रही है – अगर कमी नहीं है तो आखिर डॉक्टर कहां हैं?
अल्मोड़ा: बाल रोग विशेषज्ञ तक नहीं
अल्मोड़ा जिले के नौ सीएचसी में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 47 पद खाली हैं। किसी भी केंद्र में महिला और बाल रोग विशेषज्ञ मौजूद नहीं हैं। भिकियासैंण सीएचसी केवल संविदा डॉक्टर पर निर्भर है।
सीएमओ डॉ. नवीन तिवारी का कहना है कि सुविधाएं बेहतर करने के प्रयास जारी हैं।
बागेश्वर: नौ पीएचसी पूरी तरह खाली
जिले में डॉक्टरों के 107 स्वीकृत पदों में से 31 रिक्त हैं।
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जिला अस्पताल: 30 पदों में से 7 खाली
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3 सीएचसी और 29 पीएचसी में से 9 पूरी तरह डॉक्टर विहीन
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कांडा, कपकोट और बैजनाथ सीएचसी में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी
नैनीताल: 87 पद रिक्त, विशेषज्ञ नहीं
जिले में डॉक्टरों के 340 पदों में से 87 खाली हैं।
बीडी पांडे अस्पताल में 14 पद रिक्त हैं, जिनमें 2 बाल रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। पीएमएस डॉ. टीके टम्टा के अनुसार डॉक्टरों की तैनाती के प्रयास जारी हैं।
पिथौरागढ़: महिला आबादी केवल 2 विशेषज्ञों के भरोसे
पिथौरागढ़ जिले के 60 से अधिक अस्पतालों में चिकित्सकों के 174 पद हैं, जिनमें 85 रिक्त हैं।
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12 डॉक्टर पीजी करने गए
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10 लंबे समय से ड्यूटी से गायब
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पूरी महिला आबादी केवल 2 महिला रोग विशेषज्ञों पर निर्भर है।
चंपावत: 50% से अधिक कमी
जिले में 111 स्वीकृत पदों के मुकाबले सिर्फ 60 डॉक्टर तैनात हैं।
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जिला अस्पताल: 36 पदों में से 11 खाली
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उप जिला अस्पताल लोहाघाट: 21 में से 10 रिक्त
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टनकपुर और 18 पीएचसी भी स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहे हैं।
ऊधमसिंह नगर: आईसीयू भी अधर में
यहां स्थिति सबसे गंभीर है। स्वीकृत 226 पदों में से 131 रिक्त हैं।
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जिला अस्पताल का आईसीयू और अन्य महत्वपूर्ण इकाइयां अधर में
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33 पीएचसी में से 18 पूरी तरह चिकित्साधिकारी विहीन
स्वास्थ्य संकट पर बड़ा सवाल
कुमाऊं मंडल की तस्वीर साफ दिखाती है कि उत्तराखंड की जनता स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रही है। डॉक्टरों की कमी से इलाज ठप है और सरकार का दावा जनता के लिए अब सवालों के घेरे में है।