देहरादून, 4 सितंबर 2025
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बुधवार को राजनीतिक सरगर्मी चरम पर पहुंच गई जब महिला सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा प्रदेश कार्यालय की ओर कूच किया। प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर जाम लग गया, धक्का-मुक्की हुई और करीब 80 कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया।
कांग्रेस का प्रदर्शन, गोबर-गोमूत्र लेकर नारेबाजी
कांग्रेस की महिला इकाई की अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नेतृत्व में कार्यकर्ता भाजपा सरकार के खिलाफ गोबर और गोमूत्र के कलश लेकर बलबीर रोड स्थित भाजपा कार्यालय की ओर बढ़े। उनका आरोप था कि भाजपा सरकार महिला सुरक्षा के मामलों में असफल साबित हुई है।
पुलिस की कड़ी सुरक्षा, सड़कें बंद
प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने भाजपा कार्यालय से करीब आधा किलोमीटर दूर ही बैरिकेडिंग कर बलबीर रोड को बंद कर दिया। नतीजा यह हुआ कि स्कूल जाने वाले बच्चों और दफ्तर जाने वालों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी।
करीब दो घंटे तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़क पर नारेबाजी की, वहीं भाजपा कार्यालय के भीतर नेता शांति से बैठकर हालात पर नजर रखते रहे।
हरक सिंह रावत की झड़प
प्रदर्शन के दौरान माहौल तब गरमा गया जब कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत बैरिकेडिंग पर चढ़ गए और पुलिस से उनकी तीखी बहस हो गई। इसके बाद पुलिस ने हालात काबू में लेने के लिए करीब 80 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन भेजा और बाद में छोड़ दिया।
महिला नेताओं का बैरिकेड पार कर पहुंचना
सुरक्षा व्यवस्था के बीच कांग्रेस की दो महिला नेता बैरिकेडिंग को दरकिनार करते हुए दूसरे रास्ते से भाजपा कार्यालय के नजदीक पहुंच गईं। पुलिस को इसकी भनक लगते ही अफरा-तफरी मच गई और उन्हें कार्यालय तक पहुंचने से रोकना पड़ा।
कांग्रेस का आरोप: भाजपा नेताओं की भूमिका संदिग्ध
महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला ने कहा कि “नारी 2025 रिपोर्ट” में देहरादून को देश के सबसे असुरक्षित शहरों में गिना गया है और एनसीआरबी के आंकड़े भी बताते हैं कि प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं।
कांग्रेस नेता रंजीत रावत ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में जितने भी महिला उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं, उनमें भाजपा के मंत्री, विधायक और कार्यकर्ताओं की संलिप्तता सामने आई है।
भाजपा पर विपक्ष का हमला
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा ने कहा कि दुष्कर्म और उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं लेकिन मुख्यमंत्री धामी की सरकार संवेदनशीलता दिखाने के बजाय सिर्फ प्रचार-प्रसार में व्यस्त है।