देहरादून, 5 सितंबर 2025
उत्तराखंड सरकार अब बच्चों की सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती। स्कूली वाहनों में अब सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम और पैनिक बटन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। परिवहन विभाग ने इसके लिए 27 बिंदुओं का सेफ्टी परफॉर्मा तैयार कर लिया है।
मुख्यमंत्री धामी ने दिए सख्त निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कहा है कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रत्येक वाहन की रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग हो और हर गतिविधि कैमरे में रिकॉर्ड की जाए।
चार स्कूलों में शुरू हुआ ऑडिट
गुरुवार को आरटीओ प्रशासन संदीप सैनी के आदेश पर एआरटीओ प्रशासन चक्रपाणि मिश्रा और उनकी टीम ने दून के कई स्कूलों में वाहनों का ऑडिट किया। इसमें दून लारियल्स एकेडमी, लक्ष्य यूनिवर्सल एकेडमी, ज्ञान आइंस्टीन, बिरला ओपन माइंड और शिवालिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग शामिल रहे।
पुलिस करेगी ड्राइवर-परिचालक का सत्यापन
सुरक्षा व्यवस्था के तहत स्कूल बस और वैन के चालक-परिचालकों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य किया गया है। परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई नियम तोड़ता है तो उस वाहन की फिटनेस तुरंत रद्द कर दी जाएगी।
सेफ्टी ऑडिट की प्रमुख बातें
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हर वाहन में CCTV कैमरा और व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) होगा।
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पैनिक बटन और अलार्म बेल लगाना अनिवार्य।
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वाहन पर स्कूल का नाम और “On School Duty” लिखा होना जरूरी।
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चालक की वर्दी, नाम-पट्टिका और बैज नंबर होना चाहिए।
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अधिकतम गति 40 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं होगी।
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वाहन में फर्स्ट एड बॉक्स, दो फायर एक्सटिंग्विशर और बैग रखने की व्यवस्था होगी।
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ओवरलोडिंग पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
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छात्राओं को ले जाने वाली बसों में महिला सहायक की तैनाती अनिवार्य होगी।
पिछली रिपोर्ट ने खोली थी पोल
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की 2018 की रिपोर्ट में पाया गया था कि 80% निजी स्कूलों के वाहन बच्चों की सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। यह न सिर्फ बच्चों की जान को खतरे में डाल रहा था बल्कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन भी था। इसी आधार पर अब सरकार ने नई गाइडलाइन लागू की है।
अभिभावकों से अपील
आरटीओ संदीप सैनी ने कहा कि अभिभावक बच्चों से समय-समय पर वाहन चालक के व्यवहार की जानकारी लें और स्कूल वैन/बस चालक और मालिक की पूरी डिटेल अपने पास रखें। उन्होंने बताया कि सभी स्कूली वाहनों की जांच रिपोर्ट रोजाना तैयार होगी और नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अब बच्चों का हर सफर कैमरों की नजर और सुरक्षा नियमों के घेरे में होगा। सरकार का दावा है कि इन कदमों से दुर्घटनाओं और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं पर लगाम लगेगी और अभिभावक भी निश्चिंत होकर बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे।