देहरादून, 23 सितंबर 2025
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड सामने आ गया है। जांच में पता चला है कि मुख्य आरोपी खालिद मलिक ने परीक्षा के लिए चार अलग-अलग पहचान से आवेदन किया था। उसने हर फॉर्म में पिता का नाम, मोबाइल नंबर और यहां तक कि फोटो तक बदल दिए थे। आयोग ने उसे सभी परीक्षाओं से आजीवन प्रतिबंधित कर दिया है।
चार पहचान, अलग-अलग फोटो और नंबर
आयोग की जांच में खुलासा हुआ कि खालिद मलिक ने ऑनलाइन आवेदन के दौरान आठ अलग-अलग मोबाइल नंबर इस्तेमाल किए। चारों फॉर्म में दी गई जानकारियां पूरी तरह अलग थीं। किसी में पिता का नाम बदला गया तो किसी में फोटो। शुरुआती जांच में इतनी गहराई से फॉर्म का मिलान करना संभव नहीं था, क्योंकि इस परीक्षा में कुल 1,54,764 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था।
पेपर लीक की शुरुआत कैसे हुई?
रविवार को आयोजित परीक्षा के दौरान तीन पन्ने इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुए। बाद में पता चला कि यह पन्ने खालिद मलिक ने अपने पुराने परिचित सहायक प्रवक्ता सुमन को व्हाट्सएप पर भेजे थे। फिर उन्हीं प्रश्नों के उत्तर उसकी बहन हिना के मोबाइल पर पहुंचाए जाने की बात सामने आई। इसी ने आयोग और पुलिस का शक और गहरा दिया।
बहन ने किया बड़ा खुलासा
पूछताछ में खालिद की बहन हिना ने पुलिस को बताया कि खालिद पहले ही घर पर बोल चुका था कि उसने कई फार्म इसलिए भरे हैं ताकि वह उस परीक्षा केंद्र पर पहुंच सके जहां पहले से “नकल की सेटिंग” होगी। यही वजह थी कि उसने अलग-अलग पहचान का सहारा लिया।
आयोग की कार्रवाई और सख्त कदम
आयोग ने जब खालिद के भरे गए सभी फॉर्म की दोबारा जांच की, तो यह साफ हो गया कि यह एक योजनाबद्ध धोखाधड़ी थी। इसके बाद सोमवार को आयोग ने खालिद मलिक को सभी भर्ती परीक्षाओं से आजीवन प्रतिबंधित (ब्लैकलिस्ट) कर दिया।
आयोग के सचिव डॉ. एसके बरनवाल ने कहा:
“खालिद मलिक ने चार अलग-अलग पहचान से परीक्षा फार्म ऑनलाइन भरे थे। सभी में पिता का नाम, मोबाइल नंबर और फोटो अलग-अलग थे। यह साफ संकेत है कि आरोपी पहले से ही परीक्षा में फ्रॉड करने की तैयारी कर रहा था।”
निष्कर्ष
UKSSSC पेपर लीक मामले ने एक बार फिर भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मास्टरमाइंड खालिद मलिक की साजिश न सिर्फ अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है बल्कि पूरे तंत्र की विश्वसनीयता को भी चुनौती देती है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि खालिद को परीक्षा केंद्र में किसने मदद की और इस खेल में और कौन शामिल था।