देहरादून, 25 सितंबर 2025
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा में नकल करने की कोशिश करने वाला मुख्य आरोपित खालिद पुलिस की गिरफ्त में है। फिल्मी अंदाज में रची गई उसकी यह चालाकी भले ही सिस्टम को हिला देने वाली साबित हुई, लेकिन वह खुद परीक्षा में सफल नहीं हो सका।
चार आवेदन और पास का केंद्र चुना
पुलिस जांच में सामने आया कि खालिद ने टिहरी और हरिद्वार जिलों से चार आवेदन किए थे। किस्मत से उसे बहादुरपुर जट (हरिद्वार) स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज परीक्षा केंद्र मिल गया, जो उसके घर के नजदीक था। खालिद ने परीक्षा से पहले केंद्र की तीन बार रेकी की और एक दिन पहले झाड़ियों व ईंटों के बीच अखबार में लपेटकर मोबाइल छुपा दिया।
विंडचिटर पहनकर पहुंचा परीक्षा देने
गर्मी के बावजूद खालिद परीक्षा वाले दिन विंडचिटर पहनकर आया। केंद्र में प्रवेश के बाद वह बार-बार बाथरूम जाने की जिद करता रहा। मौका मिलते ही उसने छिपा हुआ फोन निकाल लिया और जैकेट के अंदर रख लिया। पर्यवेक्षक के ध्यान हटते ही उसने प्रश्न पत्र के तीन पन्नों की फोटो खींची और बाथरूम जाकर अपनी बहन साबिया को भेज दी।
सुमन से आए जवाब, लेकिन कामयाबी नहीं
खालिद की बहन ने ये फोटो उसकी परिचित असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को भेजे। सुमन ने प्रश्न हल करके जवाब वापस भेजे। लेकिन, परीक्षा के दौरान खालिद को बार-बार बाथरूम जाने की अनुमति नहीं मिली और वह पूरे 100 में से केवल 40 प्रश्न ही हल कर सका। यानी उसकी नकल की पूरी कोशिश भी उसे पास कराने में नाकाम रही।
पेपर लीक का डर और दिल्ली भागा
परीक्षा के बाद जब खालिद ने देखा कि उसके द्वारा भेजे गए प्रश्नपत्र की तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गई हैं, तो वह डर गया। तुरंत उसने अपना सिम कार्ड तोड़ दिया, मोबाइल रिसेट किया और दून एक्सप्रेस के डस्टबिन में अपना आईफोन फेंक दिया। बहन से मोबाइल लेकर वह दिल्ली भाग गया और लखनऊ होते हुए वापस लौटा। कोर्ट में सरेंडर करने की योजना बना ही रहा था कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
SIT करेगी डाटा रिकवरी
एसपी ऋषिकेश जया बलोनी ने बताया कि पुलिस ने खालिद की बहन साबिया का मोबाइल पहले ही बरामद कर लिया है। हालांकि, उसे फॉर्मेट कर दिया गया था। अब एसआइटी मेटा से संपर्क कर व्हाट्सएप डाटा रिकवर कराने की तैयारी कर रही है। साथ ही ट्रेन में फेंके गए आईफोन की भी तलाश की जा रही है।
सुमन पर भी शक, बन सकती है गवाह
पुलिस जांच में सुमन की भूमिका पर सवाल खड़े हुए हैं। उसने स्वीकार किया कि उसने सवालों के जवाब दिए, लेकिन दावा किया कि वह खालिद की मंशा से अनभिज्ञ थी। पुलिस फिलहाल उसे शक के दायरे में रखे हुए है, हालांकि जरूरत पड़ने पर उसे सरकारी गवाह भी बनाया जा सकता है।
संगठित गिरोह नहीं, अकेला ही हिला गया सिस्टम
अब तक की विवेचना में किसी संगठित गिरोह की संलिप्तता सामने नहीं आई है। एसपी बलोनी ने कहा कि खालिद की ओएमआर शीट की जांच टेक्निकल टीम करेगी ताकि यह पता चल सके कि उसने सुमन से मिले जवाब शीट में भरे या नहीं।
निष्कर्ष
एक अकेले खालिद ने अपनी चालाकी से पूरे परीक्षा सिस्टम को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया। हालांकि, उसकी साजिश अधूरी रह गई और पास होने के लिए जरूरी अंक भी वह हासिल नहीं कर सका। पुलिस की जांच अब तकनीकी डाटा रिकवरी और ओएमआर शीट के विश्लेषण पर टिकी है। इस प्रकरण ने एक बार फिर UKSSSC परीक्षाओं की पारदर्शिता और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।