देहरादून, 27 सितंबर 2025
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षा पेपर लीक मामले को लेकर बेरोजगार युवाओं का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। शुक्रवार को जिलाधिकारी (DM) सविन बंसल और एसएसपी (SSP) अजय सिंह धरना स्थल पहुंचे और युवाओं से वार्ता की। हालांकि, करीब एक घंटे तक चली बातचीत बेनतीजा रही और युवा अपनी मांगों पर अडिग रहे।
युवाओं ने खोला भरोसे पर सवाल
धरनारत युवाओं ने साफ कहा कि सरकार या प्रशासन की किसी भी बात पर उन्हें अब भरोसा नहीं है। उनका कहना था कि पेपर रद्द कराकर सीबीआई जांच कराना ही एकमात्र समाधान है।
बेरोजगार संघ के नेता बॉबी पंवार ने भी युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन उन्होंने प्रशासन को अपने तर्कों के साथ जवाब दिया। युवाओं का कहना था कि बार-बार पेपर लीक होते हैं और हर बार एसआईटी गठित होती है, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जाता।
DM और SSP ने दी सफाई
DM सविन बंसल ने धरना स्थल पर कहा कि पेपर लीक और नकल के मामले में सरकार गंभीर है। एक परीक्षा केंद्र में नकल की पुष्टि हुई है और संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की गई है। उन्होंने बताया कि इस बार SIT गठित की गई है, जो पूरे प्रदेश में जांच करेगी।
SSP अजय सिंह ने कहा कि जांच में एक महीने का समय लगेगा, संभव है कि इससे भी कम समय में रिपोर्ट आ जाए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी और सभी को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा।
युवाओं का पलटवार – “विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है”
बेरोजगार नेता बॉबी पंवार ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष जीएस मार्तोलिया तक ने दावा किया था कि एक भी सवाल बाहर नहीं आया, लेकिन कई ऑडियो क्लिप वायरल हुईं जिनमें ओएमआर शीट खाली छोड़ने तक की बातें हो रही थीं। इससे आयोग और सरकार की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा हो गया है।
पंवार ने याद दिलाया कि 2016 में भी वीपीडीओ का पेपर लीक हुआ था, तब भी SIT बनी थी लेकिन जांच बेनतीजा रही। उन्होंने कहा कि इस बार वह खुद सीबीआई जांच की शुरुआत अपने नाम से करवाना चाहते हैं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
मुकदमा रायपुर थाने में क्यों दर्ज हुआ?
युवाओं ने सवाल उठाया कि जब पेपर लीक हरिद्वार में हुआ, तो मुकदमा रायपुर में क्यों दर्ज किया गया?
इस पर SSP अजय सिंह ने स्पष्ट किया कि आयोग का कार्यालय रायपुर क्षेत्र में स्थित है, इसलिए नियमों के अनुसार मुकदमा वहीं दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि पहले भी आयोग से जुड़े मुकदमे रायपुर थाने में दर्ज किए जाते रहे हैं।
रिटायर्ड जस्टिस वर्मा पर भी आपत्ति
युवाओं ने SIT जांच की निगरानी के लिए नियुक्त सेवानिवृत्त जस्टिस बीएस वर्मा पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि जस्टिस वर्मा के राजनीतिक संबंध हैं। वे पंचायती राज विभाग में तैनात रह चुके हैं और उनके परिवार का राजनीति से सीधा संबंध है, ऐसे में जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है।
निष्कर्ष
सरकार ने SIT जांच और कार्रवाई का भरोसा दिलाया है, लेकिन बेरोजगार युवा सीबीआई जांच की मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं। उनके अनुसार, SIT जांचों का इतिहास नतीजों से खाली रहा है और यही वजह है कि उनका विश्वास प्रशासन से उठ चुका है। फिलहाल धरना जारी है और पेपर लीक मामले का विवाद और गहराता जा रहा है।