स्थान: ऋषिकेश, उत्तराखंड | दिनांक: रविवार, 5 अक्टूबर 2025
देवभूमि में वेस्टर्न ड्रेस को लेकर विवाद, रैंप वॉक के दौरान मचा हंगामा
तीर्थनगरी ऋषिकेश में रविवार को लायंस क्लब द्वारा आयोजित मिस ऋषिकेश प्रतियोगिता की तैयारियों के दौरान बड़ा विवाद खड़ा हो गया। आयोजन स्थल पर तब हंगामा मच गया जब राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के कार्यकर्ता होटल पहुंचकर वेस्टर्न ड्रेस में युवतियों के रैंप वॉक का विरोध करने लगे। संगठन का कहना था कि यह “देवभूमि की संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ” है।
होटल में चल रही थी रैंप वॉक की तैयारी, अचानक पहुंचे संगठन के कार्यकर्ता
जानकारी के अनुसार, लायंस क्लब ऋषिकेश रॉयल की ओर से दीपावली मेले के लिए मिस ऋषिकेश चयन की तैयारियां चल रही थीं। इसी सिलसिले में कुछ युवतियां वेस्टर्न ड्रेस में रैंप वॉक की प्रैक्टिस कर रही थीं।
इसी दौरान राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र भटनागर अपने कार्यकर्ताओं के साथ होटल पहुंचे और कार्यक्रम का विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन तीर्थनगरी की धार्मिक मर्यादा के विपरीत है।
विरोध के बीच हुई नोकझोंक, पुलिस ने किया हस्तक्षेप
होटल में मौजूद युवतियों ने संगठन के विरोध का जवाब देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक प्रतियोगिता है जिसका उद्देश्य प्रतिभा को आगे लाना है। इस पर संगठन के कार्यकर्ताओं और युवतियों के बीच तीखी बहस और नोकझोंक शुरू हो गई।
स्थिति बिगड़ने लगी तो आयोजन समिति और संगठन के सदस्यों के बीच हाथापाई जैसी नौबत आ गई।
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझाकर मामला शांत कराया।
राघवेंद्र भटनागर बोले — “देवभूमि में अश्लीलता बर्दाश्त नहीं”
विरोध कर रहे राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र भटनागर ने कहा कि ऋषिकेश विश्वभर में तीर्थनगरी और हिंदू आस्था के प्रतीक स्थल के रूप में जानी जाती है।
उन्होंने कहा, “सनातन धर्म महिलाओं को मर्यादित वस्त्र पहनने की सीख देता है। कम वस्त्रों में रैंप वॉक कराना न केवल संस्कृति के खिलाफ है बल्कि पहाड़ की बेटियों के लिए गलत संदेश देता है।”
उन्होंने युवतियों से अपील की कि वे अपने पहनावे और आचरण से देवभूमि की गरिमा बनाए रखें।
क्लब प्रबंधन ने दी सफाई — “हम किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते”
लायंस क्लब ऋषिकेश रॉयल के प्रेसिडेंट पंकज चंदानी ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है।
उन्होंने कहा, “हम सिर्फ स्थानीय युवतियों को मंच देने का प्रयास कर रहे हैं ताकि वे अपनी प्रतिभा से आगे बढ़ सकें। मिस ऋषिकेश का चयन एक सांस्कृतिक और प्रोत्साहनात्मक आयोजन है, न कि किसी परंपरा का उल्लंघन।”
उन्होंने पुलिस और प्रशासन का आभार जताया जिन्होंने समय रहते स्थिति संभाल ली।
वीडियो वायरल, सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रिया
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। कुछ लोगों ने संगठन के कदम का समर्थन करते हुए इसे “संस्कृति की रक्षा” बताया, वहीं कई यूजर्स ने इसे “महिलाओं की आज़ादी में हस्तक्षेप” करार दिया।
घटना को लेकर ऋषिकेश में देर शाम तक चर्चा बनी रही।
निष्कर्ष: परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन की जरूरत
ऋषिकेश की इस घटना ने एक बार फिर संस्कृति और आधुनिकता के टकराव को उजागर कर दिया है।
जहां एक ओर धार्मिक संगठन पारंपरिक मूल्यों की रक्षा की बात कर रहे हैं, वहीं समाज का एक तबका महिलाओं को समान अवसर और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देने के पक्ष में है।
मामले से यह स्पष्ट होता है कि तीर्थनगरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आयोजनों के दौरान संवेदनशीलता और संवाद दोनों आवश्यक हैं ताकि परंपरा और प्रगति का संतुलन बना रहे।