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दीपावली पर उल्लुओं की सुरक्षा के लिए जागे रहेंगे वनकर्मी: देहरादून से लच्छीवाला तक वन विभाग सतर्क, रातभर होगी गश्त

 तिथि – 19 अक्टूबर 2025 |  स्थान – देहरादून, उत्तराखंड


दीपावली की रात जहां देशभर में रोशनी और उल्लास का माहौल रहता है, वहीं उत्तराखंड का वन विभाग पूरी रात उल्लुओं की सुरक्षा में मुस्तैद रहेगा। हर साल दीपावली के दौरान अंधविश्वास के कारण उल्लुओं के शिकार की घटनाओं की संभावना को देखते हुए विभाग ने इस बार कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं।

देहरादून समेत पूरे जिले में रातभर वनकर्मी गश्त करेंगे और उल्लुओं की सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी दल तैनात किया गया है।


मालसी जू में विशेष पहरा, चार वनकर्मी रहेंगे तैनात

देहरादून-मसूरी रोड स्थित मालसी जू में तीन प्रजातियों के कुल 10 उल्लू हैं। इन दुर्लभ प्रजातियों को बचाने के लिए विभाग ने विशेष सुरक्षा व्यवस्था की है।

जू के डिप्टी रेंजर विनोद लिंगवाल ने बताया कि दीपावली की रात जू परिसर में चार वनकर्मी लगातार निगरानी रखेंगे। उन्होंने कहा कि “उल्लू वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित प्राणी हैं, और दीपावली के दौरान इनका शिकार पूरी तरह से अवैध है।”

लिंगवाल ने जनता से अपील की कि वे अंधविश्वास के कारण किसी भी प्रकार के वन्यजीव को नुकसान न पहुंचाएं, बल्कि उनकी रक्षा में विभाग का सहयोग करें।


जू और जंगल के आसपास पटाखों पर सख्त रोक

वन विभाग ने वन्यजीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जू और जंगल के 100 मीटर दायरे में पटाखे जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है।

डिप्टी रेंजर लिंगवाल ने बताया कि पटाखों की तेज आवाज और रोशनी से पक्षियों और अन्य जानवरों में भय और असामान्य व्यवहार देखने को मिलता है। कई बार पक्षी अपने घोंसलों से उड़कर रास्ता भटक जाते हैं, जिससे उन्हें चोट या मौत का खतरा रहता है।

उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे रॉकेट और आकाशदीप जैसे ऊपर की ओर जाने वाले पटाखे न जलाएं, क्योंकि इससे जंगलों में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।


“हूट फॉर हेल्प” अभियान से फैलाई जा रही जागरूकता

उल्लुओं की सुरक्षा को लेकर देहरादून वन प्रभाग के लच्छीवाला रेंज में “हूट फॉर हेल्प अभियान” चलाया जा रहा है।

वन क्षेत्राधिकारी मेधावी कीर्ति ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य लोगों में अंधविश्वास के कारण उल्लुओं के शिकार और व्यापार को रोकना है। इसके साथ ही जनता को उल्लुओं के पर्यावरणीय महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “उल्लू पारिस्थितिकी तंत्र का एक अहम हिस्सा हैं। वे खेतों और जंगलों में चूहों और अन्य हानिकारक कीटों की संख्या को नियंत्रित करते हैं। इसलिए, उनका संरक्षण आवश्यक है।”

अभियान में शैलेंद्र रावत, रजत कुमार, अंकित सिंह, विजय थपलियाल, सीमा मिश्रा, नूतन और अभिषेक जैसे वनकर्मी भी सक्रिय रूप से शामिल हैं।


ड्रोन से निगरानी और शिकारियों पर कड़ी नजर

डीएफओ नीरज कुमार ने बताया कि दीपावली की रात ड्रोन से निगरानी की जाएगी ताकि किसी भी तरह की अवैध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई हो सके।

उन्होंने कहा कि “यदि कोई व्यक्ति वन्यजीवों का शिकार करते हुए पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिलेभर में रात की गश्त को भी बढ़ा दिया गया है।”


निष्कर्ष

दीपावली की रोशनी में उल्लुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की यह पहल मानव और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक है। वन विभाग की सतर्कता और जागरूकता अभियान यह संदेश देता है कि असली त्योहार वही है जिसमें हर जीव सुरक्षित हो और हर प्राणी को जीने का अधिकार मिले।

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