तारीख: 22 अक्टूबर 2025
स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
अब नहीं बख्शे जाएंगे नियम तोड़ने वाले रिसॉर्ट
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के नदी-नालों के किनारे बने अवैध रिसॉर्ट और होटलों के खिलाफ सख्त रुख अपना लिया है। पर्यावरणीय संतुलन और आपदा जोखिम को देखते हुए, सरकार ने इन निर्माणों को हटाने का निर्णय लिया है।
इस संबंध में संबंधित विभागों को कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
दून घाटियों में अतिक्रमण बना खतरा
देहरादून की सुंदर घाटियाँ — सहस्रधारा, गुच्चूपानी, मालदेवता, शिखर फॉल और किमाड़ी — जहां कभी प्रकृति की सुंदरता के लिए जानी जाती थीं, अब अवैध निर्माण और पर्यावरणीय क्षरण के कारण संकट में हैं।
इन क्षेत्रों में नदी और नालों के किनारे अतिक्रमण कर बड़े पैमाने पर रिसॉर्ट, होटल और होमस्टे बनाए जा चुके हैं।
नदी की भूमि को कब्जा कर आलीशान व्यावसायिक इमारतें खड़ी कर दी गई हैं, जिससे नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हुआ है और आपदा का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
आपदाओं का सीधा असर: प्रकृति की चेतावनी
हाल ही में कार्लीगाड़ और मालदेवता क्षेत्र में आई आपदा ने स्पष्ट कर दिया है कि अनियंत्रित निर्माण किस तरह पर्यावरण पर भारी पड़ रहा है।
जहां पहले ये घाटियाँ सैलानियों को आकर्षित करती थीं, वहीं अब बादल फटने और अतिवृष्टि जैसी घटनाएँ यहां के निवासियों के लिए भय का कारण बन गई हैं।
पर्यटन के नाम पर हो रही यह बिना मानकों की अंधाधुंध गतिविधि न सिर्फ प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ रही है, बल्कि स्थायी विकास के लक्ष्य को भी कमजोर कर रही है।
निरीक्षण में खुला सच: नदी की धारा मोड़ दी गई
जिलाधिकारी सविन बंसल ने हाल ही में आपदाग्रस्त क्षेत्रों के निरीक्षण के दौरान बांडावाली खैरी मान सिंह क्षेत्र में बने एक आलीशान ‘स्पर्श फार्म एंड रिसॉर्ट’ को देखा था, जो पूरी तरह नदी की भूमि पर बना हुआ पाया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, रिसॉर्ट स्वामी ने अपने भवन को बचाने के लिए नदी की धारा मोड़ दी, जिससे पानी का बहाव सड़क की ओर चला गया और करीब 150 मीटर सड़क तबाह हो गई।
इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
जिलाधिकारी के सख्त निर्देश
जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया,
“जिले में नदी-नालों के किनारे और वन भूमि पर किए गए सभी व्यावसायिक निर्माणों की जांच के आदेश दिए गए हैं। रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। साथ ही ऐसे रिसॉर्ट, होटल और होमस्टे की बुकिंग वेबसाइट्स ब्लॉक कराई जाएंगी।”
पर्यावरण संरक्षण को लेकर सख्त सरकार
सरकार का मानना है कि यदि समय रहते इन अवैध निर्माणों पर लगाम नहीं लगाई गई तो उत्तराखंड के पर्यावरणीय तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
अवैध रिसॉर्ट और होटल हटाए जाने से न केवल प्राकृतिक संतुलन बहाल होगा बल्कि भविष्य की आपदाओं के खतरे को भी कम किया जा सकेगा।
निष्कर्ष
देहरादून और आसपास के पर्यटन स्थलों में नदी-नालों के किनारे किए गए अवैध निर्माण अब सरकारी निगरानी के घेरे में आ चुके हैं।
यह कार्रवाई न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अब उत्तराखंड में नियमों की अनदेखी नहीं चलेगी।
आने वाले दिनों में रिपोर्ट के आधार पर सरकार बड़े स्तर पर ध्वस्तीकरण अभियान चला सकती है, ताकि “प्रकृति और पर्यटन के बीच संतुलन” को फिर से कायम किया जा सके।


