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स्पर्श हिमालय महोत्सव का भव्य समापन: सीएम धामी ने किया दीप प्रज्वलन, योग और नाड़ी विज्ञान पर हुआ गहन मंथन

दिनांक: 5 नवम्बर 2025 | स्थान: देहरादून


देहरादून के लेखक गांव में आध्यात्म और विज्ञान का संगम

देहरादून के शांत और हरियाली से घिरे लेखक गांव, थानों में चल रहा स्पर्श हिमालय महोत्सव बुधवार को अपने तीसरे और अंतिम दिन भव्य समापन के साथ संपन्न हुआ।
तीन दिनों तक चले इस महोत्सव में योग, आध्यात्म, नाड़ी विज्ञान और पर्यटन पर विभिन्न सत्र आयोजित किए गए, जिनमें देशभर से आए विशेषज्ञों, विद्वानों और योगाचार्यों ने भाग लिया।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बने समापन सत्र के मुख्य अतिथि

महोत्सव के अंतिम दिन का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीप प्रज्वलित कर किया। सीएम धामी ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन हिमालयी संस्कृति, योग और भारतीय परंपरा के संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने कहा कि योग और नाड़ी विज्ञान जैसे प्राचीन भारतीय ज्ञान आज विश्व को जीवन की दिशा दिखा रहे हैं।


नाड़ी विज्ञान पर डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी का सारगर्भित संबोधन

समापन सत्र में नाड़ी रोग विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा कि “मनुष्य के सभी रोगों की जड़ मस्तिष्क में होती है। मस्तिष्क में उत्पन्न असंतुलन ही शरीर में रोगों के रूप में प्रकट होता है। उसी मस्तिष्क में रोगों का समाधान भी छिपा होता है।”

उन्होंने बताया कि अनियमित आहार-विहार, तनाव और अनिद्रा के कारण आज अधिकांश लोग किसी न किसी रोग से पीड़ित हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों को संयमित जीवनशैली और मानसिक शुद्धता अपनाने का संदेश दिया।
डॉ. जोशी के अनुसार, अवचेतन मन की स्वच्छता और योगाभ्यास से व्यक्ति न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रह सकता है।


आध्यात्म, योग और पर्यटन पर भी हुए विचार-विमर्श

कार्यक्रम के अन्य सत्रों में वक्ताओं ने हिमालयी संस्कृति, योग, ध्यान और पर्यटन के बीच संबंधों पर चर्चा की।
वक्ताओं ने कहा कि हिमालय न केवल भौगोलिक पहचान है बल्कि आंतरिक ऊर्जा और शांति का प्रतीक भी है।
योगाचार्यों ने बताया कि नाड़ी विज्ञान के अध्ययन से शरीर के ऊर्जा प्रवाह को समझा जा सकता है, जिससे जीवन को संतुलित बनाया जा सकता है।


सीएम धामी ने किया स्थानीय प्रयासों की सराहना

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि लेखक गांव जैसे स्थानों पर इस प्रकार के आयोजन ग्रामीण और सांस्कृतिक पर्यटन को भी प्रोत्साहन देते हैं।
उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि ‘स्पर्श हिमालय’ जैसे महोत्सव न केवल स्थानीय प्रतिभाओं को मंच देते हैं, बल्कि उत्तराखंड की पहचान को भी सशक्त बनाते हैं।


निष्कर्ष: प्रकृति, स्वास्थ्य और अध्यात्म के संगम से सजा महोत्सव

तीन दिवसीय स्पर्श हिमालय महोत्सव ने प्रकृति, स्वास्थ्य, अध्यात्म और विज्ञान का अनोखा संगम प्रस्तुत किया।
महोत्सव के समापन पर प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे योग, ध्यान और संतुलित जीवनशैली को अपने दैनिक जीवन में अपनाकर हिमालय की शिक्षाओं को आगे बढ़ाएंगे।

 

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