स्थान व तारीख: देहरादून, 13 नवम्बर 2025
उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस ने एक बार फिर संगठनात्मक स्थिरता और अनुभव पर भरोसा जताते हुए जसविंदर सिंह गोगी को देहरादून महानगर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दोबारा सौंप दी है। राज्य के सबसे बड़े शहर में यह फैसला आगामी राजनीतिक समीकरणों और विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों के लिहाज से रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
संगठन में अनुभव और स्थिरता पर कांग्रेस का भरोसा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जसविंदर सिंह गोगी के पिछले कार्यकाल में बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने, कार्यकर्ताओं को सक्रिय बनाए रखने और शहर की समस्याओं को लेकर लगातार आवाज उठाने का काम सराहनीय रहा।
इन्हीं कार्यों को देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है।
कांग्रेस हाईकमान का यह कदम यह भी दर्शाता है कि पार्टी इस समय संगठनात्मक स्थिरता और अनुभवी नेतृत्व को प्राथमिकता दे रही है, बजाय नए प्रयोगों के।
राजनीतिक समीकरण और चुनावी रणनीति से जुड़ा फैसला
देहरादून न केवल उत्तराखंड की राजधानी है बल्कि यह प्रदेश की राजनीति का केंद्र भी है।
यहां कुल 10 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से छह सीटों पर देहरादून शहर का सीधा प्रभाव है।
ऐसे में महानगर अध्यक्ष का पद पार्टी के चुनावी समीकरणों के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गोगी को दोबारा मौका देकर कांग्रेस ने पहाड़-मैदान की खींचतान से बचने की कोशिश की है।
साथ ही यह संदेश भी दिया है कि पार्टी फिलहाल गुटबाजी से ऊपर उठकर संगठन को एकजुट रखना चाहती है।
नगर निगम चुनावों के बाद भी गोगी पर भरोसा कायम
इसी वर्ष हुए नगर निगम चुनावों के दौरान जसविंदर सिंह गोगी ने पार्टी प्रत्याशियों के चयन से लेकर प्रचार अभियान तक की कमान संभाली थी।
हालांकि, इस दौरान एक होटल में हुई बैठक का वीडियो वायरल होने से पार्टी में आंतरिक असंतोष भी देखने को मिला था।
कांग्रेस नेतृत्व ने उस समय कुछ असंतुष्ट नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रण में किया था।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, उस दौर में उठे विवादों के बावजूद कांग्रेस का गोगी पर दोबारा भरोसा जताना यह दर्शाता है कि पार्टी ने गुटबाजी से किनारा कर एकता पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है।
देहरादून में कांग्रेस संगठन की नई चुनौती
देहरादून जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील जिले में पार्टी की एकता बनाए रखना आसान नहीं है।
गोगी के नेतृत्व में अब संगठन को न केवल जनसंपर्क बढ़ाने बल्कि युवा कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की चुनौती भी होगी।
पार्टी उम्मीद कर रही है कि उनका अनुभव और स्थानीय स्तर पर पकड़ कांग्रेस को आगामी चुनावी तैयारी में मजबूती देगा।
निष्कर्ष: कांग्रेस ने संगठनात्मक संतुलन साधने की कोशिश की
जसविंदर सिंह गोगी की पुनर्नियुक्ति यह संकेत देती है कि कांग्रेस ने अनुभव, संगठनात्मक स्थिरता और संतुलित नेतृत्व को प्राथमिकता दी है।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि गोगी अपनी टीम के साथ मिलकर राजधानी में कांग्रेस के जनाधार को कितना सशक्त बना पाते हैं।


