तारीख: 22 नवंबर 2025
स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
देहरादून में एक बार फिर आवासीय प्रोजेक्ट के नाम पर बड़ा रियल एस्टेट घोटाला सामने आया है। दीपावली के बाद से परिवार सहित लापता चल रहा बिल्डर शाश्वत गर्ग एक हाउसिंग प्रोजेक्ट में निवेशकों और बैंकों से करोड़ों रुपये हड़पकर फरार हो गया।
मामले ने बड़ा मोड़ तब लिया जब पुलिस जांच में सामने आया कि एक ही फ्लैट को कई लोगों को बेचा गया, और फर्जी दस्तावेजों के सहारे बैंकों से भारी भरकम लोन भी लिया गया।
पुलिस ने पूरे परिवार व बैंक अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया
राजपुर थाना पुलिस ने ठगी और धोखाधड़ी के आरोप में निम्न लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है—
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शाश्वत गर्ग (मुख्य आरोपी)
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पत्नी साक्षी गर्ग
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पिता प्रवीण गर्ग
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मां अंजली गर्ग
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सालें सुलभ गोयल और कुशाल गोयल
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संबंधित बैंक अधिकारी व कर्मचारी
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि परिवार ने संगठित तरीके से निवेशकों और बैंकों को ठगा और प्रोजेक्ट का इस्तेमाल बड़े आर्थिक अपराध के रूप में किया।
121 फ्लैटों वाले प्रोजेक्ट में हुआ करोड़ों का खेल
शिकायत इंटरिम सोसाइटी प्रबंधन समिति आरकेडिया हिलाक्स के अध्यक्ष विवेक एस. राज ने दर्ज कराई।
उन्होंने बताया—
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प्रोजेक्ट मसूरी रोड पर स्थित है
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जमीन अतुल गर्ग, राजनगर गाजियाबाद निवासी की है
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कुल 121 फ्लैट बनने थे
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निर्माण कार्य प्रवीण गर्ग और उनके बेटे शाश्वत गर्ग की ओर से संचालित हो रहा था
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शाश्वत की पत्नी और दो साले भी प्रोजेक्ट में साझेदार बताए गए
इन फ्लैटों को सेना और सरकारी विभागों के अधिकारियों सहित अनेक निवेशकों ने खरीदा था।
एक ही फ्लैट की कई-कई रजिस्ट्री— सबसे बड़ा खुलासा
पुलिस जांच में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया—
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एक ही फ्लैट को एक से अधिक खरीदारों को बेच दिया गया
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कई मामलों में दो से तीन लोगों को एक ही यूनिट अलॉट की गई
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बैंक से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गृह ऋण लिया गया
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बैंक अधिकारियों ने भी बिना सत्यापन के लोन जारी किया, जिससे संलिप्तता के प्रमाण मिले
यह घोटाला आकार में इतना बड़ा है कि पुलिस इसे ‘पुष्पांजलि इंफ्राटेक प्रकरण’ के बाद शहर का सबसे बड़ा रियल एस्टेट फ्रॉड बता रही है।
दीपावली के बाद परिवार समेत हुआ गायब
मामले की गंभीरता तब बढ़ी जब दीपावली के बाद शाश्वत गर्ग, उसकी पत्नी, उसके माता-पिता और दोनों सालों ने किराये के घरों को खाली कर दिया और सभी फोन बंद करके फरार हो गए।
पुलिस के अनुसार उनकी लोकेशन आखिरी बार—
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दिल्ली-एनसीआर,
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हापुड़,
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और गाजियाबाद
क्षेत्र में मिली थी।
बैंक अधिकारियों की भूमिका पर भी जांच
पुलिस को आशंका है कि—
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या तो बैंक अधिकारियों ने दस्तावेजों की जांच में लापरवाही की
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या फिर जानबूझकर बिल्डर के साथ मिलकर ऋण जारी किए
दोनों ही स्थितियों की जांच SIT द्वारा की जाएगी।
क्या कहती है पुलिस?
पुलिस अधिकारियों के अनुसार—
“यह सुनियोजित आर्थिक अपराध है। आरोपी परिवार संगठित रूप से निवेशकों और बैंकों को ठगने में शामिल रहा है। सभी दस्तावेज और खाते खंगाले जा रहे हैं।”
निष्कर्ष
देहरादून में रियल एस्टेट ठगी का यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि बिना पुख्ता जांच और सत्यापन के घर खरीदना कितना जोखिम भरा हो सकता है।
शाश्वत गर्ग परिवार के फरार होने से साफ है कि घोटाले की जड़ें गहरी और संगठित थीं। पुलिस अब प्रोजेक्ट, बैंक की भूमिका और निवेशकों को हुए नुकसान की विस्तृत जांच कर रही है।
यह मामला उन सभी लोगों के लिए चेतावनी है जो आकर्षक ऑफर्स और तेजी से बिकने वाले प्रोजेक्ट्स पर भरोसा कर लेते हैं।


