तारीख: 24 नवंबर 2025
स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
राज्य में भालू के हमलों की बढ़ती घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
उत्तराखंड में हाल के वर्षों में भालू के हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। वन विभाग और विशेषज्ञों के अनुसार इसके पीछे एक बड़ा कारण है—भालुओं का हाइबरनेशन (शीत निद्रा) प्रभावित होना।
पहाड़ों में बर्फबारी में कमी, भोजन के व्यवहार में बदलाव और जलवायु परिवर्तन जैसी परिस्थितियाँ भालुओं की प्राकृतिक दिनचर्या को प्रभावित कर रही हैं।
भारतीय वन्यजीव संस्थान का शोध: हर भालू की शीत निद्रा एक जैसी नहीं
भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने जम्मू-कश्मीर के दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान और आसपास के क्षेत्रों में 2011-12 में भालुओं पर विस्तृत अध्ययन किया था।
इस अध्ययन में सात भालुओं पर रेडियो कॉलर लगाए गए, जिनकी गतिविधियों को वैज्ञानिक रूप से मॉनिटर किया गया।
औसतन 65 दिन की शीत निद्रा, पर भालुओं में बड़ा अंतर
सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. सत्यकुमार के अनुसार, अध्ययन से यह सामने आया कि–
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भालू औसतन 65 दिन शीत निद्रा में रहे
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एक भालू 90 दिन तक हाइबरनेशन में रहा
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जबकि एक अन्य भालू केवल 40 दिन ही शीत निद्रा में रहा
कश्मीर जैसे क्षेत्रों में, जहां सेब और चेरी के बड़े-बड़े बाग हैं, वहाँ भी भालू-मानव संघर्ष के मामले लगातार सामने आते रहे हैं।
कम बर्फबारी और बदलते मौसम ने बिगाड़ी प्राकृतिक लय
अध्ययन के दौरान यह भी पाया गया कि मौसम में बदलाव के कारण कई भालू सर्दी भर सक्रिय बने रहे।
पहाड़ों में बर्फ कम पड़ने से तापमान उतना नहीं गिरता कि भालू आराम से शीत निद्रा में जा सकें।
इसके अलावा भोजन की उपलब्धता और बदलते फीडिंग पैटर्न भी उनके व्यवहार पर असर डाल रहे हैं।
वन विभाग का अध्ययन: सालभर सक्रिय रह रहे भालू
वन विभाग ने भी उत्तराखंड में भालुओं पर क्षेत्रीय अध्ययन किया है।
डीएफओ चकराता वैभव कुमार, जो पूर्व में लैंसडाउन वन प्रभाग में तैनात थे, बताते हैं कि:
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वर्ष 2018 में यमकेश्वर ब्लॉक में भालू हमलों की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई
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इसके बाद एक अध्ययन में पाया गया कि
भालू अब सालभर सक्रिय रहते हैं, उनका हाइबरनेशन पैटर्न गड़बड़ा चुका है
इस असामान्यता के पीछे प्रमुख कारण बताए गए—
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कम बर्फबारी
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हाइबरनेशन स्थलों में कमी
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भोजन व्यवहार में बदलाव
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मानव बस्तियों का जंगलों में विस्तार
निष्कर्ष: बढ़ते संघर्ष की वजह जलवायु परिवर्तन और असामान्य व्यवहार
अध्ययनों से यह साफ हो गया है कि उत्तराखंड में भालू के हमलों में बढ़ोतरी केवल मानव दखल की वजह से नहीं, बल्कि भालुओं के प्राकृतिक व्यवहार में आए बड़े बदलाव का नतीजा है।
हाइबरनेशन का टूटना, सालभर उनकी सक्रियता और बदलती जलवायु का प्रभाव इनके मानव बस्तियों के नजदीक आने का प्रमुख कारण बन गया है।
वन विभाग और विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि समय रहते इस स्थिति पर रोक लगाने के लिये प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में भालू-मानव संघर्ष और बढ़ सकता है।


