तारीख – 25 नवंबर 2025 | स्थान – विकासनगर, देहरादून
दूसरे दिन भी अवैध निर्माणों पर प्रशासन का कड़ा प्रहार
विकासनगर क्षेत्र में सोमवार को भी प्रशासन ने अवैध कब्जों के खिलाफ मुहिम जारी रखी। डाकपत्थर, कुंजा, कुल्हाल और ढकरानी क्षेत्रों में जल विद्युत निगम (UJVNL) की शक्तिनहर किनारे स्थित भूमि पर बने 46 अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया।
इससे एक दिन पहले रविवार को प्रशासन ने 65 अवैध निर्माण गिराए थे, यानी दो दिनों में कुल 111 चिह्नित निर्माणों को पूरी तरह हटाया जा चुका है।
भारी पुलिस बल की मौजूदगी में ध्वस्तीकरण अभियान
सुबह से ही प्रशासनिक टीम भारी पुलिस बल के साथ कार्रवाई में जुट गई। सुरक्षा व्यवस्था इतनी सख्त थी कि स्थानीय लोग विरोध तक नहीं जता सके और अपने मकानों को टूटते हुए देखते रहे।
अभियान में मुख्य रूप से मौजूद अधिकारी—
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एसडीएम विनोद कुमार
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नायब तहसीलदार ग्यारुदत्त जोशी
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सीओ भाष्कर लाल शाह
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कोतवाल सहसपुर शंकर सिंह बिष्ट
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विकासनगर कोतवाल विनोद गुसाईं
टीम ने पूरे क्षेत्र में तय योजना के तहत कार्रवाई आगे बढ़ाई और शेष बचे सभी अवैध निर्माणों को ढहा दिया।
अवैध कब्जे कई क्षेत्रों में फैले हुए थे
शक्तिनहर किनारे UJVNL की भूमि पर पिछले वर्षों में बड़े पैमाने पर अनाधिकृत निर्माण कर लिए गए थे। इनमें शामिल क्षेत्र—
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ढालीपुर
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कुंजा
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ढकरानी
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हरिपुर
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कुल्हाल
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डाकपत्थर
प्रशासन ने पहले ही सर्वे कर यहां कुल 111 अवैध कब्जों को चिह्नित किया था। अब सभी निर्माण गिराए जा चुके हैं।
अधिकारियों की चेतावनी — दोबारा निर्माण करने पर सख्त कार्रवाई
अधिकारियों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति दोबारा यहां निर्माण करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई और दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे।
ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर सवाल भी उठे
इसी बीच प्रशासन की कार्रवाई को लेकर कुछ शिकायतें भी सामने आई हैं।
लक्ष्मणपुर निवासी शिवम गुप्ता ने एसडीएम को शिकायत दी है कि—
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उन्हें जिस खसरा नंबर का नोटिस भेजा गया है, वह उनकी भूमि का नहीं है।
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बावजूद इसके प्रशासन ने उनकी दुकान पर लाल निशान लगा दिया, जिससे वे परेशान हैं।
प्रशासन ने शिकायत की जांच की बात कही है।
निष्कर्ष
दो दिनों तक चले इस बड़े अभियान ने विकासनगर क्षेत्र में अवैध निर्माणों पर प्रशासन की सख्ती और गंभीरता को स्पष्ट कर दिया है। सरकारी भूमि को कब्जामुक्त कराना प्राथमिकता बनी हुई है, हालांकि कुछ असंतुष्ट लोगों की शिकायतें यह संकेत देती हैं कि नोटिस प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता को लेकर प्रशासन को और ध्यान देने की आवश्यकता है।
इस अभियान ने ये संदेश दे दिया है कि सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अब लगातार जारी रहेगी।


