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हर्बल सेक्टर को नई दिशा देने की तैयारी, सीएम धामी बोले—“नवाचार, वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग पर दें जोर, किसानों को मिले अधिकतम लाभ”

स्थान: देहरादून, उत्तराखंड |  तारीख: 05 दिसम्बर 2025

देहरादून स्थित सचिवालय में शुक्रवार को आयोजित जड़ी-बूटी सलाहकार समिति की महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को हर्बल और जड़ी-बूटी सेक्टर को मजबूती देने के लिए व्यवस्थित रूप से क्लस्टर आधारित कार्य करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र प्राकृतिक हर्बल संपदा का भंडार हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में हर्बल उत्पादों के संवर्धन, शोध और विपणन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।


हर्बल सेक्टर में क्लस्टर आधारित विकास का निर्देश

सीएम धामी ने कहा कि गांवों में हर्बल क्लस्टर विकसित किए जाएं ताकि उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तक सभी प्रक्रियाएं सुव्यवस्थित ढंग से हो सकें।
उन्होंने जोर दिया कि राज्य की हर्बल संपदा न सिर्फ आर्थिकी को मजबूत कर सकती है, बल्कि हजारों लोगों के लिए रोजगार और आय के नए अवसर भी पैदा कर सकती है।


अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिसेज से सीखेगा उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर्बल और एरोमा सेक्टर में देश के दो अग्रणी राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिसेज का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेजी जाए।
उन्होंने बताया कि इन नवाचारों को उत्तराखंड में लागू कर हर्बल सेक्टर को वैज्ञानिक और आधुनिक रूप दिया जा सकता है।

सीएम ने निर्देश दिए कि—

  • अनुसंधान, नवाचार, उत्पादन और मार्केटिंग एक साथ जोड़कर विकास मॉडल बने

  • हर्बल उत्पादों की ब्रांडिंग पर विशेष काम हो

  • किसानों की आय बढ़ाने के लिए वैल्यू एडिशन और प्रोसेसिंग इकाइयों का विस्तार किया जाए


हर्बल इकोनामी को बढ़ावा—किसानों और महिलाओं तक पहुंचे लाभ

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हर्बल इकोनॉमी को विकसित करना सरकार की प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि हर्बल क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं का लाभ:

  • किसानों

  • स्थानीय युवाओं

  • और महिलाओं

तक पहुंचना चाहिए।
उन्होंने पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और प्रसंस्करण में मदद लेने पर भी जोर दिया।


जंगली जानवरों से प्रभावित क्षेत्रों में संयुक्त टीमें भेजने के निर्देश

मुख्यमंत्री ने बताया कि कई पर्वतीय क्षेत्रों में भालू और अन्य जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान पहुंचता है।
ऐसे स्थानों पर कृषि और वन विभाग की संयुक्त टीमें भेजी जाएं, जो स्थानीय लोगों को—

  • सुरक्षा उपाय

  • फसलों के संरक्षण

  • और जोखिम कम करने

के उपायों की जानकारी दें।


संस्थान ने प्रस्तुत की विस्तृत रिपोर्ट

बैठक में जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने कहा कि संस्थान द्वारा:

  • दुर्लभ औषधीय प्रजातियों का संरक्षण

  • हर्बल प्रजातियों के उत्पादन

  • विस्तृत शोध

  • और किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम

लगातार संचालित किए जा रहे हैं।


बैठक में शामिल रहे प्रमुख अधिकारी

इस बैठक में कृषि मंत्री गणेश जोशी, जड़ी-बूटी सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष भुवन विक्रम डबराल, बलवीर घुनियाल, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव एस.एन. पांडेय, वी. षणमुगम, अपर सचिव विजय कुमार जोगदंडे, वंदना, अनुराधा पाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।


निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार हर्बल सेक्टर को व्यवस्थित, वैज्ञानिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में बड़े कदम उठा रही है।
मुख्यमंत्री धामी के निर्देशों से यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में—

  • हर्बल उत्पादन

  • औषधीय खेती

  • प्रोसेसिंग

  • और मार्केटिंग

के क्षेत्र में राज्य एक राष्ट्रीय मॉडल बन सकता है।
अगर योजनाएं जमीन पर सही तरीके से लागू हुईं, तो उत्तराखंड के किसानों, महिलाओं और युवाओं को एक नई हर्बल अर्थव्यवस्था का बड़ा लाभ मिलेगा।

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