उत्तराखंड: अंकिता भंडारी हत्याकांड में तीनों दोषियों को उम्रकैद, कोर्ट का फैसला आया
कोटद्वार | 30 मई 2025
बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में आज कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने वनंत्रा रिजॉर्ट की रिसेप्शनिस्ट अंकिता की हत्या के दोषी पाए गए तीनों आरोपियों—रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता—को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही, कोर्ट ने तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना और पीड़िता के परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया।
हत्या की भयावह कहानी
18 सितंबर 2022 को अंकिता की हत्या कर उसका शव चीला शक्ति नहर में फेंक दिया गया था। 24 सितंबर को उसका शव नहर से बरामद हुआ। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने उस पर अनैतिक कार्यों का दबाव बनाया था और जब उसने विरोध किया, तो राज़ बाहर आने के डर से उसे नहर में धक्का दे दिया गया।
कोर्ट में दो साल से अधिक चली सुनवाई
30 जनवरी 2023 से शुरू हुई सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से 47 गवाह पेश किए गए। एसआईटी ने कुल 97 गवाहों की सूची बनाई थी। लगभग दो साल और आठ महीने तक चले इस मुकदमे में अदालत ने 30 मई 2025 को फैसला सुरक्षित रखा था, जो आज सुनाया गया।
परिजनों ने जताई नाराज़गी
अंकिता के माता-पिता कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, “जिन्होंने हमारी बेटी को मौत दी, उन्हें भी मौत की सजा मिलनी चाहिए थी।” उन्होंने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही।
कोर्ट परिसर बना छावनी, सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
फैसले से पहले और बाद में कोटद्वार में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी से पुलिस बल बुलाया गया। कोर्ट परिसर के 200 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू की गई और चार मजिस्ट्रेट तैनात रहे। इसके बावजूद, फैसले से ठीक पहले भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने बलपूर्वक रोका।
कब क्या हुआ
रिजॉर्ट के मालिक पुलकित ने 20 सितंबर 2022 को अंकिता के गुम होने की राजस्व क्षेत्र पट्टी उदयपुर पल्ला में शिकायत की।
लोगों का प्रदर्शन शुरू हुआ तो 22 सितंबर 2022 को जिलाधिकारी के आदेश से यह मामला नियमित पुलिस लक्ष्मणझूला थाने को दिया गया।
लक्ष्मण झूला पुलिस ने जांच की और पुलकित, अंकित और सौरभ से पूछताछ में पता चला कि उन्होंने 18 सितंबर को उसकी हत्या कर दी।
हत्या का कारण यही आया कि तीनों उस पर अनैतिक कार्यों को करने का दबाव डाल रहे थे। राज बाहर न आए इसलिए उसे चीला नहर में धक्का दे दिया।
22 सितंबर को पुलिस ने मुकदमे से अपहरण की धारा हटाकर हत्या, साक्ष्य छुपाने और आपराधिक षडयंत्र की धारा जोड़ दी।
23 सितंबर को न्यायालय के आदेश पर तीनों आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। इस दौरान भी लोगों ने उग्र प्रदर्शन किया।
24 सितंबर को अंकिता भंडारी का शव घटनास्थल से 13 किलोमीटर दूर चीला नहर बैराज इंटेक से बरामद किया गया।
24 सितंबर को ही अंकिता का एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों की टीम ने पोस्टमार्टम किया।
24 सितंबर एडीजी अपराध एवं कानून व्यवस्था के निर्देश मुकदमे की विवेचना के लिए डीआईजी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया।
26 सितंबर को तीनों आरोपियों को पुलिस कस्टडी रिमांड में लेकर क्राइम सीन दोहराया गया।
विवेचना के दौरान आरोपियों के खिलाफ अनैतिक देह व्यापार अधिनियम की धाराएं भी मुकदमे में जोड़ दी गईं।
16 दिसंबर को पुलकित, अंकित और सौरभ के खिलाफ हत्या, साक्ष्य छुपाने, छेड़खानी और अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई।
30 मई 2025 को आया फैसला।
आगे क्या?
अंकिता के परिवार ने हाईकोर्ट का रुख करने की बात कही है। अब सबकी नजरें उत्तराखंड हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां संभव है कि मृत्युदंड की मांग को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए।
कोटद्वार | 30 मई 2025
बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में आज कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने वनंत्रा रिजॉर्ट की रिसेप्शनिस्ट अंकिता की हत्या के दोषी पाए गए तीनों आरोपियों—रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता—को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही, कोर्ट ने तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना और पीड़िता के परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया।
हत्या की भयावह कहानी
18 सितंबर 2022 को अंकिता की हत्या कर उसका शव चीला शक्ति नहर में फेंक दिया गया था। 24 सितंबर को उसका शव नहर से बरामद हुआ। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने उस पर अनैतिक कार्यों का दबाव बनाया था और जब उसने विरोध किया, तो राज़ बाहर आने के डर से उसे नहर में धक्का दे दिया गया।
कोर्ट में दो साल से अधिक चली सुनवाई
30 जनवरी 2023 से शुरू हुई सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से 47 गवाह पेश किए गए। एसआईटी ने कुल 97 गवाहों की सूची बनाई थी। लगभग दो साल और आठ महीने तक चले इस मुकदमे में अदालत ने 30 मई 2025 को फैसला सुरक्षित रखा था, जो आज सुनाया गया।
परिजनों ने जताई नाराज़गी
अंकिता के माता-पिता कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, “जिन्होंने हमारी बेटी को मौत दी, उन्हें भी मौत की सजा मिलनी चाहिए थी।” उन्होंने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही।
कोर्ट परिसर बना छावनी, सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
फैसले से पहले और बाद में कोटद्वार में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी से पुलिस बल बुलाया गया। कोर्ट परिसर के 200 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू की गई और चार मजिस्ट्रेट तैनात रहे। इसके बावजूद, फैसले से ठीक पहले भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने बलपूर्वक रोका।
कब क्या हुआ
आगे क्या?
अंकिता के परिवार ने हाईकोर्ट का रुख करने की बात कही है। अब सबकी नजरें उत्तराखंड हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां संभव है कि मृत्युदंड की मांग को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए।