तारीख: 27 नवंबर 2025 | स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
देहरादून में सरकारी जमीनों पर बढ़ते अतिक्रमण को लेकर प्रशासन अब सख्त मोड में आ गया है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने अधिकारियों को साफ चेतावनी दी है कि यदि तय समय पर अवैध कब्जे नहीं हटाए गए तो संबंधित अधिकारियों के वेतन रोके जाएंगे और निलंबन की कार्रवाई भी की जा सकती है।
अन्तर्विभागीय समीक्षा बैठक में डीएम का कड़ा रुख
कलेक्ट्रेट सभागार में हुई अन्तर्विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान डीएम सविन बंसल ने सरकारी सम्पत्तियों पर अतिक्रमण के मामलों की प्रगति की समीक्षा की।
उन्होंने कहा कि अब केवल फाइलों में पत्राचार करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि धरातल पर वास्तविक कार्रवाई दिखनी चाहिए।
सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों पर जीरो टॉलरेंस
डीएम ने निर्देश दिए कि जिन विभागों की जिम्मेदारी में सरकारी भूमि, भवन, मार्ग, नहर, कार्यालय परिसर या अन्य संपत्तियां हैं, उन पर यदि कहीं भी अवैध कब्जा मिला तो विभागीय अधिकारी जवाबदेह होंगे।
उन्होंने यह भी पूछा:
“आप लोगों की अतिक्रमण हटाने की समय-सीमा क्या है?”
यह सवाल अधिकारियों की कार्यशैली पर सीधा सवाल था।
दो दिन में रिपोर्ट जमा करने का आदेश
डीएम ने सभी विभागों को 48 घंटों के भीतर अतिक्रमण से संबंधित पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
जो विभाग दावा करते हैं कि उनकी भूमि पर कोई अतिक्रमण नहीं है, उन्हें इसका प्रत्यक्ष प्रमाण-पत्र देना होगा और इसे गूगल शीट पर तुरंत अपडेट करना होगा।
कार्रवाई न करने पर कठोर दंड
डीएम बंसल ने साफ निर्देश दिए:
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समय पर अतिक्रमण न हटाया → वेतन रोक दिया जाएगा
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लापरवाही साबित हुई → निलंबन की कार्रवाई
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गंभीर गैर-ज़िम्मेदारी → सेवाबाधित (service break) की कार्रवाई
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और शासन स्तर पर भी इस अभियान की लगातार समीक्षा की जा रही है, इसलिए विभागों को परिणाम देने होंगे।
हर विभाग की जवाबदेही तय
अधिकारी अब अपनी भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति स्पष्ट करने और उसे हटाने के लिए जवाबदेह होंगे।
मुख्यमंत्री के निर्देश के तहत देहरादून में सरकारी जमीनों को जल्द से जल्द अतिक्रमणमुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
निष्कर्ष
देहरादून में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई अब तेज़ी से आगे बढ़ने वाली है।
डीएम की सख्त चेतावनी के बाद विभागों पर दबाव बढ़ गया है।
आने वाले दिनों में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बुलडोजर एक्शन देखने को मिल सकता है।
प्रशासन अब स्पष्ट संदेश दे चुका है—
“सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, और कार्रवाई में देरी करने वालों पर भी कड़ी कार्यवाही होगी।”


