देहरादून, 18 सितंबर 2025
आपदा से जूझ रहे उत्तराखंड में बुधवार को एक पिता की जिजीविषा और साहस ने सबका दिल छू लिया। मसूरी के थत्यूड़ क्षेत्र में जब डेढ़ साल का मासूम बेटा सांसों के लिए संघर्ष कर रहा था और सभी रास्ते बंद थे, तब पिता ने उम्मीद नहीं छोड़ी। बेटे को गोद में उठाकर उन्होंने 18 किलोमीटर पैदल और दौड़कर देहरादून अस्पताल पहुंचाया, जहां बच्चे का उपचार शुरू हो सका।
चार दिन से जूझ रहा था निमोनिया से
थत्यूड़ निवासी समवीर का बेटा देवांग चार दिन से बीमार था। पहले बुखार और फिर निमोनिया ने बच्चे की हालत बिगाड़ दी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के बावजूद उसकी सांसें कमजोर पड़ने लगीं। डॉक्टरों ने उसे तत्काल बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी, लेकिन आपदा के कारण सड़कें बंद थीं।
हेलिकॉप्टर की उम्मीद टूटी, पिता का हौसला जागा
प्रशासन ने बुधवार सुबह गंभीर मरीजों को निकालने के लिए हेलिकॉप्टर भेजा, लेकिन खराब मौसम के कारण उड़ान नहीं भर सका। इस बीच देवांग की हालत गंभीर होती गई। जब सांसें टूटने लगीं, तब पिता समवीर ने बेटे को गोद में लिया और बिना रुके पहाड़ी रास्तों से दौड़ पड़े।
18 किलोमीटर का संघर्ष, मौत से जंग
भूस्खलन और टूटी सड़कों से गुजरते हुए समवीर “बड़ा मोड़” से “कुठालगेट” तक करीब 18 किलोमीटर दौड़े। रास्ते में न रुकावटों का डर उन्हें रोक सका, न थकान। आखिरकार दोपहर करीब 4 बजे वे देहरादून पहुंचे और एक निजी अस्पताल में बेटे को भर्ती कराया। डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया।
अन्य मरीज भी भेजे गए दून अस्पताल
मसूरी-दून मार्ग बंद होने से शहर में फंसे 12 अन्य मरीजों को भी बुधवार को एंबुलेंस और निजी वाहनों से देहरादून भेजा गया। इनमें डायलिसिस और सर्जरी के मरीज शामिल थे। पहले इन मरीजों को हेलिकॉप्टर से भेजने की योजना थी, लेकिन मौसम खराब होने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी।
यातायात डायवर्जन और प्रशासन की कवायद
देहरादून यातायात पुलिस ने कहा है कि मसूरी मार्ग को जल्द खोलने का प्रयास जारी है। तब तक डायवर्जन लागू रहेगा। विकासनगर, सहसपुर और सहारनपुर मार्गों के लिए विशेष प्लान जारी किया गया है ताकि लोगों को दिक्कत कम हो।
हेलिकॉप्टर से पहुंचा 700 किलो राशन
आपदा प्रभावित गांवों में खाने का संकट गहराने लगा था। बुधवार को प्रशासन ने हेलिकॉप्टर से 700 किलो राशन पैकेट पहुंचाए। इन्हें 60 परिवारों में बांटा गया। जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अनुमति के बाद यह ऑपरेशन चलाया गया। एसडीएम कुमकुम जोशी के नेतृत्व में टीमों ने गांव-गांव जाकर राहत सामग्री पहुंचाई।
निष्कर्ष
उत्तराखंड की आपदा ने जहां मुश्किलें खड़ी की हैं, वहीं एक पिता का साहस उम्मीद की किरण बन गया। समवीर का 18 किलोमीटर का संघर्ष न केवल अपने बेटे की जिंदगी बचाने की कोशिश है, बल्कि यह पहाड़ की जुझारू भावना और अपार धैर्य की मिसाल भी है। प्रशासन लगातार राहत-बचाव और मदद पहुंचाने की कवायद में है, लेकिन यह घटना बताती है कि इंसानी हिम्मत किसी भी संकट को मात दे सकती है।