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Dehradun: लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन सीएम धामी ने किया ‘लीडिंग लेडीज’ पुस्तक का विमोचन

दून इंटरनेशनल स्कूल, देहरादून | शुक्रवार


डीडीएलएफ बना रचनात्मकता और संवाद का बड़ा मंच

दून इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित दून लिटरेचर फेस्टिवल (DDLF) का आज दूसरा दिन उत्साह, साहित्यिक चर्चाओं और विचारों के आदान–प्रदान के साथ शुरू हुआ।
फेस्टिवल लगातार राज्य में साहित्य, रचनात्मकता, संवाद और सहानुभूति को बढ़ावा देने वाला प्रमुख मंच बनकर उभरा है।


सीएम पुष्कर सिंह धामी ने की पुस्तक का विमोचन

कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी फेस्टिवल में पहुंचे।
उन्होंने प्रसिद्ध लेखिका आग्रहरी ढींगरा द्वारा लिखित पुस्तक ‘लीडिंग लेडीज’ का विमोचन किया।
इस पुस्तक में भारत की प्रेरणादायक महिलाओं की कहानियों को शामिल किया गया है, जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन की मिसाल हैं।


साहित्य समाज का दर्पण: सीएम धामी

पुस्तक विमोचन के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि—
“साहित्य भावनाओं, विचारों और अनुभवों को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना को मजबूत करता है।”

उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘लीडिंग लेडीज ऑफ इंडिया’ विशेषकर महिलाओं को आगे बढ़ने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगी।


महिला सशक्तिकरण पर जोर

सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार लगातार महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम कर रही है।
राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की मांग बढ़ रही है, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं।

उन्होंने बताया कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं लागू की गई हैं और सरकार उनकी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।


स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को संजोने की पहल

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक कला को संरक्षित करने के लिए भी सरकार लगातार प्रयासरत है।
लिटरेचर फेस्टिवल जैसे आयोजन युवा पीढ़ी में संस्कृति और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का बेहतरीन माध्यम हैं।


निष्कर्ष

दून लिटरेचर फेस्टिवल का दूसरा दिन साहित्य, संवाद और सशक्तिकरण की भावना को मजबूत करने वाला साबित हुआ।
सीएम द्वारा ‘लीडिंग लेडीज’ पुस्तक का लोकार्पण न केवल साहित्यिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में महिलाओं की भूमिका और उनकी उपलब्धियों को नई पहचान भी देता है।
फेस्टिवल ने एक बार फिर साबित किया कि देहरादून साहित्यिक गतिविधियों का उभरता हुआ केंद्र बन रहा है।

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