दूसरी तरफ धर्मपुर चौक जेएनएनयूआरएम में चौड़ीकरण के बाद भी मौजूदा यातायात दबाव में बेहद संकरा साबित हो रहा है। जब यहां रेड लाइट के दौरान रिस्पना पुल की तरफ से आने वाले वाहन रुकते हैं तो सड़क का 80 प्रतिशत हिस्सा बाधित हो जाता है। ऐसे में माता मंदिर और रेसकोर्स की तरफ से आने वाले वाहनों को चौक पार करने में पसीने छूट जाते हैं। 

लिहाजा, इस पूरे क्षेत्र में जाम की समस्या दूर करने के ली फिलहाल फ्लाईओवर निर्माण ही एकमात्र विकल्प नजर आता है। अधिकारियों के मुताबिक टेंडर की अवधि 19 मई तक है। फिजीबिलिटी रिपोर्ट तैयार किए जाने के बाद परियोजना के भविष्य की तस्वीर साफ हो सकेगी।

एलाइनमेंट से लेकर भूमि अधिग्रहण पर तस्वीर होगी साफ

फिजीबिलिटी रिपोर्ट में सिर्फ यह साफ होगा कि प्रस्तावित फ्लाईओवर कितना उपयोगी साबित होगा, बल्कि इसका एलाइनमेंट और निर्माण की जद में आने वाली भूमि पर भी तस्वीर साबित होगी।जमीन अधिग्रहण पर तस्वीर साफ होने से निर्माण से इतर के खर्च होने वाले बजट के बारे में अहम जानकारी स्पष्ट हो सकेगी। रिपोर्ट में यह भी बताया जाएगा कि निर्माण के दायरे में कितनी लाइनें (बिजली, पानी आदि) और ढांचे आ रहे हैं। ताकि सरकारी मशीनरी को निर्णय लेने में मदद मिल सके।

रिस्पना पुल पर डिजाइन क्षमता से 5.67 गुना वाहन दबाव

रिस्पना पुल चौक का निर्माण 2900 पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) वाहन दबाव के हिसाब से किया गया है। वहीं, वर्तमान समय पर इस क्षेत्र पर वाहन दबाव बढ़कर 16 हजार 453 पीसीयू हो चुका है। इससे समझा जा सकता है कि रिस्पना पुल क्षेत्र से वाहनों को गुजरने में कितनी मशक्कत करनी पड़ती होगी।