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Dehradun Disaster: मंझाड़ा-कार्लीगाड़ में लापता लोगों की तलाश जारी, डॉग स्क्वायड भी लगा

Dehradun, September 18, 2025

कार्लीगाड़ क्षेत्र में सोमवार रात बादल फटने से आई आपदा ने पूरे इलाके को तबाह कर दिया। मंझाड़ा और कार्लीगाड़ गांव में खेत, घर और दुकानें मलबे में दब गए। इस घटना में तीन लोग लापता हो गए हैं, जिनकी तलाश के लिए रेस्क्यू टीम के साथ अब डॉग स्क्वायड भी जुटा दिया गया है।


बादल फटने से मचा हाहाकार

घटना सोमवार देर रात की है जब अचानक पहाड़ से मलबा गिरा और पंचायत घर में सामान रख रहे तीन लोग इसकी चपेट में आ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, देखते ही देखते सबकुछ मलबे में दफ्न हो गया। ग्रामीणों ने तुरंत सूचना प्रशासन तक पहुंचाई, जिसके बाद मंगलवार सुबह रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया।


जेसीबी से दो दिन तक खोजबीन बेनतीजा

प्रशासन ने जेसीबी मशीनों से लगातार दो दिन तक मलबे की खुदाई कराई, लेकिन लापता लोगों का कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद गुरुवार को उप जिलाधिकारी हरगिरी की देखरेख में डॉग स्क्वायड को लगाया गया। टीम युद्धस्तर पर तलाश में जुटी है, जबकि परिजन अब भी मलबे के पास खड़े अपनों की आखिरी झलक पाने की उम्मीद लगाए हुए हैं।


गांव के हालात भयावह, खेत और घर उजड़े

मंझाड़ा और कार्लीगाड़ में करीब 80 परिवार रहते हैं। आपदा के बाद मंझाड़ा गांव को पूरी तरह खाली कराया गया है, वहीं कार्लीगाड़ से भी कई परिवारों को सुरक्षित स्थलों और होटलों में ठहराया गया है।

गांव के लोग दिन में राहत कार्य के दौरान अपने घरों तक पहुंचते हैं, जहां उनका उजड़ा आशियाना और मलबे में दबा सामान उनका दर्द बढ़ा देता है। ग्रामीणों के अनुसार धान की तैयार फसल 4 से 6 फीट तक मलबे में दब गई है। कई खेत बह गए हैं और बड़ी संख्या में मवेशी भी आपदा की चपेट में आकर मर गए।


प्रशासन ने बढ़ाई राहत, नुकसान का आकलन जारी

जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। कृषि और उद्यान विभाग की टीमों ने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता पहुंचाई जा रही है। वहीं, मलबे में दबे मवेशियों को चारा और पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।


निष्कर्ष

कार्लीगाड़ की यह त्रासदी एक बार फिर पहाड़ की नाजुक भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं के खतरों की ओर इशारा करती है। लापता लोगों की तलाश अब भी जारी है, लेकिन परिवारों का दुख और गांव का उजड़ना यह दर्शाता है कि आपदा प्रबंधन तंत्र को और मजबूत करने की सख्त जरूरत है।

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