Dehradun, September 19, 2025
देहरादून-मसूरी मार्ग पर बारिश और भूस्खलन से आई आपदा ने सबसे ज्यादा असर प्रसिद्ध मैगी प्वाइंट पर डाला है। जहां कभी सैलानियों की भीड़ रहती थी, वहीं अब मलबे का ढेर और खंडहर जैसी दुकानें नजर आ रही हैं। दुकानदारों की रोजी-रोटी छिन गई है और जिंदगी मैगी की तरह उलझ गई है।
रोजगार पर पड़ा सबसे बड़ा असर
आपदा से पहले इस मार्ग पर बने मैगी प्वाइंट पर हर दिन हजारों पर्यटक रुककर चाय और मैगी का स्वाद चखते थे। यही दुकानदारों की जीविका का मुख्य साधन था। लेकिन आपदा ने उनकी मेहनत और सपनों को पलभर में मिटा दिया। कई दुकानें मलबे में बह गईं, जबकि कुछ में अंदर तक मिट्टी और पत्थर भर गए।
पीड़ित दुकानदारों की व्यथा
दुकानदार अमन पंवार ने बताया कि उनकी वर्षों पुरानी दुकान आपदा में पूरी तरह खत्म हो गई। यही उनके परिवार का एकमात्र सहारा थी। अब सबसे बड़ा सवाल उनके सामने भविष्य की रोजी-रोटी का है।
वहीं, रोहित रावत की दुकान मलबे से इस कदर भर गई है कि उसे फिर से शुरू करना नामुमकिन जैसा लग रहा है। दोनों का कहना है कि इस तबाही ने उनकी जिंदगी को हिला कर रख दिया है।
सुरक्षित नहीं है मसूरी-दून मार्ग
शिव मंदिर के पास बैली ब्रिज बनाकर मसूरी-दून मार्ग को वाहनों के लिए खोला तो जरूर गया है, लेकिन इस पर सफर अभी भी खतरों से भरा है। कुठालगेट से झड़पानी तक जगह-जगह मलबे के ढेर, टूटी सड़कें और धंसी हुई सतहें यात्रियों के लिए बड़ा जोखिम बनी हुई हैं। सड़क का कई हिस्सों में आधा भाग ही बचा है और दरारें लगातार चौड़ी हो रही हैं।
12 किलोमीटर का सन्नाटा
दून-मसूरी रोड पर यह पहली बार है जब दिन के उजाले में सन्नाटा पसरा हो। लगभग 12 किलोमीटर तक सड़क के दोनों ओर सिर्फ आपदा के निशान ही दिखाई दे रहे हैं। जहां कभी रंग-बिरंगी रोशनी से सजी दुकानें और सैलानियों की भीड़ होती थी, वहां अब खामोशी और वीरानी ने जगह ले ली है।
निष्कर्ष
देहरादून-मसूरी रोड का मैगी प्वाइंट सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं था, बल्कि हजारों लोगों के रोजगार का जरिया था। आपदा ने न केवल इन दुकानदारों की रोजी-रोटी छीन ली है, बल्कि पूरे इलाके को वीरान बना दिया है। प्रशासन ने मार्ग खोलने की कोशिश तो की है, लेकिन सुरक्षा और पुनर्निर्माण की राह अभी लंबी है। सवाल यही है कि आखिर कब इन दुकानों में फिर से चहल-पहल लौटेगी और कब मुस्कान वापस आएगी।