देहरादून | 15 जून 2025
उत्तराखंड सचिवालय जैसे उच्च सुरक्षा वाले संस्थान में एक उपनल कर्मचारी द्वारा एयर गन लाकर अफसर को डराने की घटना के बाद सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस पूरे मामले को लेकर इंटेलिजेंस विभाग ने जांच शुरू कर दी है, और अब सुरक्षा कर्मियों से लेकर कुछ इंटेलिजेंस स्टाफ तक जांच के घेरे में आ गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
गुरुवार को सचिवालय में कार्यरत अनुसचिव बीएस भकुनी को एयर गन से डराने का मामला सामने आया। आरोपी हरीश ध्यानी, जो कि उपनल के तहत नियुक्त एक संविदा कर्मचारी है, को तुरंत हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और फिर जमानत दे दी गई।
हालांकि यह मामला भले ही गिरफ्तारी योग्य अपराध न था, लेकिन अब यह घटना राज्य की प्रशासनिक सुरक्षा प्रणाली की कमजोरी बन गई है।
सवालों के घेरे में सचिवालय की सुरक्षा
मुख्य चिंता यह है कि:
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आखिरकार कोई कर्मचारी एयर गन जैसा हथियार लेकर सचिवालय परिसर तक कैसे पहुंच गया?
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यदि वह एयर गन की जगह असल हथियार लेकर आता तो?
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क्या मेटल डिटेक्टर, सीसीटीवी, सुरक्षा जांच जैसे सभी प्रोटोकॉल फेल हो चुके हैं?
सूत्रों के अनुसार, जिसे किसी भी प्रकार के हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है, उस संविदा कर्मी का इस तरह सचिवालय में पहुंचना गंभीर चूक है।
जांच की कमान एसपी इंटेलिजेंस को सौंपी गई
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इंटेलिजेंस विभाग ने जांच की जिम्मेदारी एसपी इंटेलिजेंस को सौंपी है। उनसे शीघ्र जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
- सूत्र बताते हैं कि सुरक्षा कर्मियों के साथ-साथ कुछ इंटेलिजेंस अफसरों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। यदि लापरवाही पाई जाती है तो निलंबन और तबादलों जैसी कार्रवाई संभव है।
- गौरतलब है कि इससे पहले भी मार्च में मुख्यमंत्री की सुरक्षा में चूक के बाद पांच एलआईयू कर्मियों को हटाया जा चुका है।
पूर्व मुख्यमंत्री कोश्यारी की मुहर भी लापता
इसी बीच एक और चौंकाने वाली सुरक्षा संबंधित खबर सामने आई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की आधिकारिक मुहर उनके आवास से लापता हो गई है।
- उनके निजी सचिव नरेश भट्ट ने डिफेंस कॉलोनी चौकी में इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई है।
- इस बात की आशंका जताई जा रही है कि मुहर का गलत उपयोग किया जा सकता है। पुलिस सुरक्षा दृष्टि से मामले को गंभीरता से ले रही है और जांच शुरू कर चुकी है।
सख्त एसओपी की मांग तेज
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार हो रही सुरक्षा चूक के मद्देनजर अब राज्य सचिवालय के लिए सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल (SOP) की समीक्षा और संशोधन आवश्यक है।
- राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि समय रहते यह चूक नहीं पकड़ी जाती तो किसी बड़ी घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता था।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड सचिवालय में हुई एयर गन की घटना और पूर्व मुख्यमंत्री की मुहर गायब होने की खबरें यह दर्शाती हैं कि राज्य की प्रशासनिक सुरक्षा को लेकर एक व्यापक पुनर्विचार और सुधार की आवश्यकता है। आने वाले दिनों में इन दोनों मामलों पर तेजी से जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।