तारीख: 15 अक्टूबर 2025 | स्थान: हरिद्वार, उत्तराखंड
त्योहारों के मौसम में दीपावली की तारीख को लेकर इस बार पूरे देश में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कई पंचांगों में तिथियों के मतभेद के कारण लोग यह तय नहीं कर पा रहे थे कि दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाए या 21 अक्टूबर को। इस भ्रम को दूर करने के लिए धर्मनगरी हरिद्वार के ज्योतिषाचार्यों और पुरोहितों ने स्पष्ट घोषणा की है कि इस वर्ष 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को ही दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।
62 वर्षों बाद बना ऐसा दुर्लभ संयोग
भारतीय प्राच विद्या सोसायटी, हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार, इस वर्ष दीपावली अमावस्या और प्रतिपदा युक्त तिथि में पड़ रही है। यह स्थिति अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है और करीब 62 वर्षों बाद ऐसी परिस्थिति बनी है जब तिथियों के मान में भिन्नता के कारण दीपावली की तारीख को लेकर भ्रम उत्पन्न हुआ।
उन्होंने बताया कि 1962 और 1963 में भी इसी तरह का संयोग बना था, जब दीपावली और भाई दूज की तिथियों में बड़ा अंतर आया था। उदाहरण के तौर पर, वर्ष 1963 में दीपावली 17 अक्टूबर को मनाई गई थी जबकि भाई दूज एक महीने बाद आई थी, क्योंकि उस समय अधिक मास (अधिमास) का संयोग बना था।
21 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि इस बार दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त 21 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद शाम 5:40 बजे से लेकर रात 8:04 बजे तक रहेगा।
उन्होंने बताया कि शाम 7:15 बजे से रात 8:30 बजे तक का समय “लाभ चौघड़िया” में आता है, जो कि लक्ष्मी पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
गृहस्थ लोग इस अवधि में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करें, वहीं जो तांत्रिक साधना करते हैं, वे अपने गुरु द्वारा बताई गई तिथि और विधि के अनुसार पूजन करें।
शास्त्रों के अनुसार 21 अक्टूबर को ही दीपावली
हरिद्वार के प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित ने बताया कि संशय की स्थिति के बीच शास्त्राज्ञा का अंतिम निर्णय 21 अक्टूबर को दीपावली मनाने का समर्थन करता है।
उन्होंने कहा कि धर्मसिन्धु, निर्णय सिन्धु और श्री गंगा सभा पंचांग के अनुसार, अमावस्या का काल सूर्यास्त से लेकर दो घंटे 24 मिनट तक रहेगा, जो कि दीपावली पूजन के लिए उत्तम माना गया है।
तिथियों की गणना में क्या है खास
प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार, इस बार
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अमावस्या का कुल मान: 26 घंटे 10 मिनट
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प्रतिपदा का मान: 26 घंटे 20 मिनट
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चतुर्दशी का मान: 25 घंटे 53 मिनट
इन गणनाओं के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि प्रतिपदा का मान अमावस्या से अधिक होने के कारण यह अमावस्या-प्रतिपदा युक्त दीपावली कहलाएगी। यही कारण है कि 21 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्रसम्मत और शुभ रहेगा।
पहले भी बनी रही है ऐसी स्थिति
इतिहास में कई बार दीपावली की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी है। वर्ष 1900 (23 अक्टूबर) और 1901 (11 नवंबर) में भी ऐसी ही खगोलीय स्थिति उत्पन्न हुई थी जब दीपावली की रात में अमावस्या नहीं थी।
इस बार भी कुछ वैसा ही संयोग देखने को मिल रहा है, जब पंचांगों की गणना के आधार पर दो तिथियों में मतभेद दिखाई दिया।
निष्कर्ष
धर्मनगरी हरिद्वार के विद्वानों और पंचांग विशेषज्ञों के मतानुसार, दीपावली 2025 की तिथि अब स्पष्ट हो गई है। देशभर में 21 अक्टूबर (मंगलवार) को ही दीपावली का पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाएगा।
ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन अत्यंत शुभ है और शाम 5:40 से रात 8:04 बजे तक का मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम रहेगा।