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Dussehra 2025: देवभूमि में गूंजा जय श्रीराम, धू-धू कर जला 121 फीट का रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले भी हुए खाक

देहरादून, 2 अक्टूबर 2025

 विजयदशमी का पर्व गुरुवार को देवभूमि उत्तराखंड में बड़े धूमधाम और धार्मिक उल्लास के साथ मनाया गया। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक इस पर्व पर देहरादून से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक जगह-जगह रावण दहन हुआ। शहर के परेड ग्राउंड में आयोजित 78वें दशहरा महोत्सव में हजारों लोगों की मौजूदगी में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों को आग के हवाले किया गया।


परेड ग्राउंड में विशाल आयोजन

देहरादून के परेड ग्राउंड में बन्नू बिरादरी दशहरा कमेटी की ओर से ऐतिहासिक महोत्सव का आयोजन किया गया। इस दौरान 45×45 फीट का लंका द्वार, 70 फीट ऊँचा मेघनाद, 75 फीट ऊँचा कुंभकर्ण और अंत में 121 फीट ऊँचा रावण का पुतला जलाया गया।

आसमान में आतिशबाज़ी की गूंज और ‘जय श्रीराम’ के नारों के बीच जब पुतले धू-धू कर जले तो पूरा मैदान भक्तिरस और उत्साह से भर गया।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हुए शामिल

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे। उन्होंने उपस्थित लोगों को विजयदशमी की शुभकामनाएँ देते हुए कहा –
“रावण केवल एक पौराणिक पात्र नहीं, बल्कि हमारे समाज की बुराइयों का प्रतीक है। हमें हर वर्ष अपने भीतर के अहंकार, क्रोध और नकारात्मक भावनाओं रूपी रावण को जलाना होगा।”

सीएम धामी ने श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही और कहा कि करुणा, क्षमा और दया के मार्ग पर चलकर ही हम विकसित भारत के संकल्प में अपना योगदान दे सकते हैं।


स्वच्छता और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संकल्प

इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने दशहरे की शुभकामनाएँ एक-दूसरे को दीं और स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। लोगों ने कहा कि जिस प्रकार रावण का वध हुआ, उसी प्रकार हमें समाज से गंदगी और बुराइयों को भी मिटाना होगा।


देहरादून ही नहीं, पूरे प्रदेश में उत्सव का माहौल

देहरादून के अलावा ऋषिकेश, हरिद्वार, रुड़की और ग्रामीण अंचलों में भी रावण दहन के आयोजन हुए। हर जगह रामलीला मंचन के बाद पुतलों को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया गया।


निष्कर्ष

देवभूमि उत्तराखंड में विजयदशमी का पर्व केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश देने का माध्यम भी बनता जा रहा है। 121 फीट ऊँचे रावण दहन से यह संदेश दिया गया कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंत में अच्छाई की ही जीत होती है।
लोग एकजुट होकर संकल्प लेते हुए लौटे कि वे अपने जीवन से अहंकार और नकारात्मकता को मिटाकर स्वच्छ और सशक्त भारत के निर्माण में भागीदार बनेंगे।

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