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Family Suicide: जिस कार में मिली सात लाशें, उसे दोस्त के नाम पर खरीदकर लाए थे प्रवीण, लगातार दे रहे थे किस्त

Family Suicide: जिस कार में मिली सात लाशें, उसे दोस्त के नाम पर खरीदकर लाए थे प्रवीण, लगातार दे रहे थे किस्त

पंचकूला में सामूहिक आत्महत्या करने वाला मित्तल परिवार तीन साल पहले देहरादून में रहता था। प्रवीण मित्तल की जेब से जो आधार कार्ड मिला था वह यहां 274 कौलागढ़ के पते का था। इस आधार पर हरियाणा के पंचकूला की पुलिस ने देर रात देहरादून पुलिस को इस सामूहिक आत्महत्या कांड के बारे में सूचना दी थी।

एसएपी अजय  सिंह ने बताया कि इस पते पर मित्तल परिवार तीन सालों तक रहा था, लेकिन करीब एक साल पहले यहां से चंडीगढ़ अपने मूल पते पर रहने चला गया था। जिस कार में परिवार के सदस्य मृत पाए गए हैं, वह कार भी उनके दोस्त मालदेवता निवासी गंभीर सिंह नेगी के नाम पर है।

गंभीर सिंह नेगी ने पुलिस को बताया कि उनकी मुलाकात प्रवीण मित्तल से उनके एनजीओ में काम करते वक्त हुई थी। दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। इस पर प्रवीण मित्तल ने कहा था कि वह उनके नाम पर एक कार लेना चाहते हैं। गंभीर सिंह नेगी ने भी हामी भर दी और फाइनेंस करा कार अपने नाम पर खरीद ली। वर्ष 2021 से प्रवीण मित्तल इस कार को इस्तेमाल कर रहे थे।

पंचकूला में सामूहिक हत्या का मामला – फोटो

खुद के नाम पर कार फाइनेंस करा प्रवीण मित्तल को देने वाले गंभीर सिंह नेगी भी उनके इस कदम से बेहद आहत हैं। उनका कहना है कि मित्तल से उनके पारिवारिक संबंध थे। वर्ष 2021 में उन्होंने कहा था कि उनका यहां कोई जान-पहचान वाला नहीं है।

ऐसे में उन्होंने कार फाइनेंस कराने का आग्रह किया था। उनके सरल स्वभाव और जान-पहचान के चलते उन्होंने कार फाइनेंस करा दी। चार सालों से भी ज्यादा समय हो गया था, वह लगातार गूगल पे के माध्यम से कार की किस्तें जमा करते आ रहे थे, लेकिन बीते दो महीनों से किस्त जमा नहीं हुई थी।
Panchkula family Seven people Suicide Praveen Mittal Bought Car in name of His friend from dehradun
पंचकूला के सेक्टर 27 में खड़ी कार – फोटो
उनसे फोन पर बातें होती रहती थीं, लेकिन कभी इस बारे में चर्चा नहीं की। एक साल पहले उन्होंने बताया था कि वह चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए हैं। किस्त बाउंस होने के बारे में अब भी वह पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं।
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देहरादून में प्रवीण मित्तल के घर पर जांच करती पुलिस – फोटो
उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि दो महीने से किस्त बाउंस हो रही थीं। मित्तल ने ऐसा कदम क्यों उठाया इस पर अब भी विश्वास नहीं कर पा रहा हूं। वह एनजीओ चलाते थे। इसके अलावा उनके किसी काम के बारे में जानकारी नहीं है।

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