तारीख: 9 अक्टूबर 2025 | स्थान: हरिद्वार, उत्तराखंड
डिजिटल तकनीक के संगम से सजेगा हरिद्वार कुंभ 2027
हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेला 2027 को इस बार पूरी तरह डिजिटल रूप दिया जा रहा है। उत्तराखंड की सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (ITDA) ने इसके लिए एक भव्य और तकनीकी रूप से उन्नत योजना तैयार की है। आईटी सचिव नितेश झा के अनुसार, “डिजिटल कुंभ” की अवधारणा के तहत तीर्थयात्रियों को सहज, सुरक्षित और आधुनिक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
डिजिटल आईडी और एआई चैटबॉट से होगी आसान यात्रा
तीर्थयात्रियों को अब डिजिटल आईडी और ई-पास दिए जाएंगे। हर यात्री की पहचान, प्रवेश और सेवाओं का रिकॉर्ड ऑनलाइन रहेगा। साथ ही, AI चैटबॉट तीर्थयात्रियों के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार रहेगा — चाहे वो स्नान की तारीखों से जुड़ा हो, अखाड़ों की जानकारी या मार्गदर्शन की जरूरत।
खोया-पाया के लिए बनेगा डिजिटल पोर्टल
कुंभ जैसे विशाल आयोजन में खोया-पाया एक बड़ी चुनौती होती है। इसे ध्यान में रखते हुए आईटीडीए ने डिजिटल लॉस्ट एंड फाउंड पोर्टल की योजना बनाई है। कोई वस्तु या व्यक्ति खो जाने पर तीर्थयात्री इस पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन सूचना दर्ज कर सकेंगे और ट्रैकिंग कर पाएंगे।
45 करोड़ का डिजिटल प्लान, केंद्र से मांगी मंजूरी
आईटीडीए ने 45 करोड़ रुपये का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। इस बजट में अलग-अलग श्रेणियों के लिए राशि निर्धारित की गई है —
- डिजिटल प्लेटफॉर्म व सिटीजन सर्विस: ₹5 करोड़
- प्लानिंग एवं जियोस्पेशियल मैपिंग: ₹6.50 करोड़
- क्राउड मैनेजमेंट एवं सेफ्टी: ₹8.50 करोड़
- तीर्थयात्री कल्याण: ₹15 करोड़
- पर्यावरणीय निगरानी व आपदा न्यूनीकरण: ₹5 करोड़
भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा में होगा टेक्नोलॉजी का प्रयोग
हरिद्वार कुंभ में सबसे बड़ी चुनौती भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा की होती है। इसके लिए इस बार ब्लूटूथ आधारित सेंसर सिस्टम और जियो-फेंसिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा।
भीड़ की घनत्व का पता लगाने के लिए हीटमैप डैशबोर्ड बनेगा, जिससे संवेदनशील क्षेत्रों की तुरंत पहचान हो सकेगी। साथ ही, सेंसर आधारित स्मार्ट पार्किंग सिस्टम और ईवी चार्जिंग लोकेटर भी उपलब्ध होंगे।
डिजिटल ट्विन प्लेटफॉर्म और ड्रोन आधारित मैपिंग से होगी निगरानी
आईटीडीए की योजना में 10 किलोमीटर बफर जोन की ड्रोन मैपिंग, घाटों की जीआईएस लेयरिंग, एआई कैमरों की जियो-टैगिंग और डिजिटल ट्विन प्लेटफॉर्म की भी व्यवस्था शामिल है। इससे प्रशासन को हर पल का वास्तविक डेटा मिलेगा और भीड़ नियंत्रण आसान होगा।
तीर्थयात्रियों के लिए बनेगा डिजिटल कुंभ एक्सपीरियंस सेंटर
कुंभ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारी देने के लिए डिजिटल कुंभ एक्सपीरियंस सेंटर और रोबोटिक्स म्यूजियम तैयार किया जाएगा। घाटों पर क्यूआर कोड साइनेज लगाए जाएंगे जिनसे कुंभ और हरिद्वार के इतिहास, परंपरा और वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।
पर्यावरणीय निगरानी और स्वच्छता पर विशेष ध्यान
गंगा घाटों की स्वच्छता और पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए सेंसर आधारित सिस्टम लगाया जाएगा। स्मार्ट वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम शौचालयों में लगाया जाएगा। साथ ही, हरिद्वार को फ्री वाई-फाई जोन बनाया जाएगा जिससे तीर्थयात्री ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवाएं भी डिजिटल होंगी
आपदा न्यूनीकरण श्रेणी के तहत, आग, बाढ़ और भीड़ भगदड़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए रियल टाइम रिस्पॉन्स सिस्टम तैयार किया जाएगा। स्वास्थ्य और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि करोड़ों श्रद्धालु सुरक्षित रूप से स्नान और दर्शन कर सकें।
निष्कर्ष:
हरिद्वार कुंभ 2027 केवल एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल प्रगति का प्रतीक बनने जा रहा है। आईटीडीए की 45 करोड़ की यह तकनीकी योजना श्रद्धालुओं को सुरक्षा, सुविधा और पारदर्शिता का नया अनुभव देगी। “डिजिटल कुंभ” न केवल आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र बनेगा, बल्कि टेक्नोलॉजी और श्रद्धा के संगम का साक्षी भी होगा।