देहरादून, 11 सितंबर 2025
नेपाल में चल रहे हिंसक आंदोलन ने देहरादून में रह रहे नेपाल मूल के लोगों की चिंता को गहरा कर दिया है। अपने परिजनों की सुरक्षा को लेकर हर कोई सहमा हुआ है। परिवारों का कहना है कि वे लगातार नेपाल में अपने प्रियजनों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फोन कभी लग रहा है तो कभी नहीं।
फोन पर जुड़ी उम्मीदें
देहरादून के सूर्य विक्रम शाही के भाई सहित उनका परिवार नेपाल में ही रह रहा है। उन्होंने बताया कि हिंसक आंदोलन शुरू होने के बाद से सिर्फ भाई से ही संपर्क हो पाया है। बाकी परिवार के सदस्यों से बातचीत नहीं हो सकी। भाई ने भी फोन पर हालात को गंभीर बताते हुए ज्यादा देर बात नहीं की। उन्होंने कहा, “वहां न गाड़ियां चल रही हैं, न ही हालात सामान्य हैं।”
परिवार की चिंता में छलके आंसू
मोहब्बेवाला निवासी उर्मिला तमांग की दोनों बहुएं नेपाल मूल की हैं। हिंसक आंदोलन की खबरों ने उनकी चिंता और बढ़ा दी है। परिवार से संपर्क नहीं हो पाने के कारण दोनों बहुओं की आंखों से आंसू छलक रहे हैं। उर्मिला ने बताया कि “कभी फोन लग जाता है तो बात हो जाती है, लेकिन कई बार बिल्कुल संपर्क नहीं हो पाता।”
हालात की जानकारी के लिए हर समय मोबाइल पर नज़र
चंद्रबनी के सेवला कला निवासी सोना शाही का मायका नेपाल में है। उन्होंने कहा कि “जैसे ही हिंसक आंदोलन की खबर सुनी, तभी से चिंता बढ़ गई है। लगातार फोन मिलाने की कोशिश कर रहे हैं, कभी बात हो रही है तो कभी नहीं।” उन्होंने कहा कि वह हर समय मोबाइल और समाचार चैनलों के जरिए नेपाल की स्थिति की जानकारी ले रही हैं।
नेपाल की शांति पर सवाल
नेपाल मूल के देहरादून निवासी मिन प्रसाद गुरुंग ने कहा, “हिंसक आंदोलन ने नेपाल की शांति को बिखेर दिया है। हमेशा से शांतिप्रिय देश आज हिंसा की आग में जल रहा है। ऐसे आंदोलनों से सिर्फ नुकसान ही होगा, सभी को धैर्य से काम लेना चाहिए।”
क्लेमेंटटाउन निवासी बबिता ने कहा, “कभी सोचा भी नहीं था कि नेपाल में इस प्रकार का हिंसक आंदोलन होगा। नेपाल जैसे शांतिप्रिय देश में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। सभी को शांति से समस्या का समाधान निकालना चाहिए।”
नेपाल में चल रहे इस आंदोलन ने न केवल वहां रह रहे लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है, बल्कि दून में रह रहे हजारों नेपाली मूल के परिवारों की नींद भी छीन ली है।