बायसरन घाटी में कोई शादी के बाद नई जिंदगी के लिए सपने सजा रहा था तो कोई अपने जीवन के कैनवास में यादों के रंग भर रहा था। इस बीच आतंकियों की कायराना हरकत ने सारे सपनों और उम्मीदों को तोड़ दिया। आइए जानते हैं हमले में अपनों को गंवाने वाले परिवारों की कहानी…।
‘आज मेरा पोता गया, कल किसी और का जाएगा’


महाराष्ट्र की असावरी जगदाले भी उनमें से एक हैं, जिन्होंने अपने पिता और चाचा को हमले में खो दिया। असावरी बताती हैं कि हमलावरों ने उनके पिता से शायद कलमा (इस्लामिक आयत) सुनाने को कहा। वे नहीं सुना सके। आतंकियों ने उन्हें सिर, कान के पीछे और पीठ में तीन गोलियां मारीं। चाचा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। आतंकियों के जाने के बाद जब असावरी ने पिता और चाचा की लाश देखी तो बुरी तरह टूट गईं।
पता नहीं था यह आखिरी बात होगी
पहलगाम हमले में अमेरिका में काम करने वाले अमेरिकी भारतीय बितान अधिकारी की मौत हो गई। वे आठ अप्रैल को अपनी पत्नी सोहिनी और अपने तीन वर्षीय बेटे के साथ अमेरिका से छुट्टियों में कोलकाता स्थित अपने घर आए थे। वे पिछले सप्ताह कश्मीर गए थे और गुरुवार को वापस लौटने वाले थे। मगर बितान अधिकारी को आतंकियों ने गोली मार दी।
बितान के पिता ने बताया कि वह हम सबको साथ ले जाना चाहता था। लेकिन मैंने उसे बहू के साथ जाने को कहा। मैंने उससे बात भी की थी। बितान के भाई ने कहा कि मैंने आज सुबह अपने छोटे भाई से बात की। उसने मुझे बताया कि कश्मीर से लौटने के बाद हम आस-पास ही लंबी छुट्टियां मनाने की योजना बनाएंगे। हमें नहीं पता था कि यह आखिरी बार होगा जब हम बात करेंगे। बितान की पत्नी और बेटा सुरक्षित हैं और सरकार उन्हें घर वापस लाने की कोशिश कर रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बितान की पत्नी से फोन पर बात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार उनके साथ है।

हमले में हैदराबाद में तैनात खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारी मनीष रंजन की भी मौत हो गई। मनीष बिहार निवासी थे। वह छुट्टी मनाने के लिए परिवार के साथ पहलगाम गए थे। आईबी के सूत्रों से मिली प्राथमिक जानकारी के मुताबिक, उन्हें उनकी पत्नी और बच्चे के सामने गोली मारी गई। मनीष रंजन पिछले दो वर्षों से आईबी के हैदराबाद कार्यालय के मंत्री अनुभाग में कार्यरत थे।
मध्य रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर की भी हत्या की
हमले में मारे गए एक अन्य मृतक की पहचान ठाणे निवासी अतुल मोने (45) के रूप में हुई है। अतुल मध्य रेलवे के कर्मचारी थे। 45 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर अतुल वर्ष 2000 में मध्य रेलवे में जूनियर इंजीनियर के पद पर भर्ती हुए थे। परेल वर्कशॉप में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। डोंबिवली में रहने वाले मोने इस सप्ताह की शुरुआत में अपने परिवार और दोस्तों के साथ जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे।