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Uttarakhand: दून एयरपोर्ट पर टूटा 23 साल का बारिश का रिकॉर्ड, मौसम वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् भी हैरान

देहरादून, 1 सितंबर 2025

उत्तराखंड की राजधानी में इस साल बारिश ने नया इतिहास रच दिया है। दून एयरपोर्ट पर अगस्त 2025 में हुई बारिश ने पिछले 23 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मौसम वैज्ञानिक और पर्यावरण विशेषज्ञ इस असामान्य वर्षा से हैरान हैं और इसे जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकेत के रूप में देख रहे हैं।


अगस्त में 986.9 मिमी बारिश दर्ज

देहरादून एयरपोर्ट पर इस अगस्त कुल 986.9 मिमी बारिश दर्ज की गई है। यह अब तक की सबसे अधिक दर्ज की गई बारिश है। मौसम विभाग वर्ष 2002 से यहां बारिश का आंकड़ा रिकॉर्ड कर रहा है और तब से लेकर अब तक का यह सबसे बड़ा स्तर है।


मई-जून में भी बने रिकॉर्ड

इस साल केवल अगस्त ही नहीं, बल्कि मई और जून के महीने भी रिकॉर्डतोड़ बारिश के गवाह बने।

  • मई 2025: 160.8 मिमी

  • जून 2025: 578 मिमी

  • जुलाई 2025: 499.3 मिमी

  • अगस्त 2025: 986.9 मिमी

यानी केवल चार महीनों में 2225 मिमी बारिश दर्ज हो चुकी है। सामान्यत: किसी वर्ष में सभी महीनों को मिलाकर लगभग 2200 से 2300 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार सिर्फ चार महीनों में ही यह आंकड़ा पार हो गया।


पिछले वर्षों से तुलना

पिछले वर्षों में अगस्त माह में हुई बारिश की तुलना में यह आंकड़ा कहीं अधिक है:

  • अगस्त 2012 – 720.5 मिमी

  • अगस्त 2014 – 802.5 मिमी

  • अगस्त 2018 – 829.4 मिमी

  • अगस्त 2023 – 745.8 मिमी

  • अगस्त 2025 – 986.9 मिमी

स्पष्ट है कि इस साल अगस्त ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।


विशेषज्ञों की चिंता

वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक और एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर के विभागाध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट ने कहा –

“बिगड़ते पर्यावरण के कारण कभी कम तो कभी बहुत अधिक बारिश हो रही है। बादल फटने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। विकास और पर्यावरण, दोनों को संतुलित रखना जरूरी है। मौसम केंद्रों का विस्तार किया जाना चाहिए ताकि समय रहते पूर्वानुमान लगाकर नुकसान कम किया जा सके।”


आपदा का बढ़ता खतरा

2013 में आई केदारनाथ त्रासदी को याद करते हुए विशेषज्ञों ने चेताया है कि असामान्य वर्षा का यह पैटर्न आने वाले समय में आपदाओं का खतरा और बढ़ा सकता है। पहाड़ी गांवों में इस बार हुई भारी बारिश से पहले ही व्यापक नुकसान दर्ज हो चुका है।


 अगस्त 2025 का यह रिकॉर्ड इस बात का सबूत है कि हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का असर तेजी से दिखाई दे रहा है। आने वाले वर्षों में बारिश के इसी तरह के असामान्य पैटर्न से निपटने के लिए ठोस रणनीति बनाना बेहद जरूरी है।

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