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Uttarakhand: नए सेशन में स्कूलों में 240 दिन होंगी कक्षाएं, परीक्षा और गतिविधियों के लिए तय हुए विशेष दिन

देहरादून, 5 सितंबर 2025

उत्तराखंड सरकार ने स्कूल शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत अब प्रदेशभर के विद्यालयों में साल में 240 दिन कक्षाएं लगेंगी। वहीं परीक्षाओं और मूल्यांकन के लिए 20 दिन अलग से तय किए गए हैं। सह-शैक्षणिक गतिविधियों और बस्ता रहित दिवसों के लिए भी 10-10 दिन निर्धारित किए गए हैं।


टास्क फोर्स ने दी मंजूरी

राज्य पाठ्यचर्या को लेकर सचिवालय स्थित सभागार में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। बैठक में राज्य स्तरीय टास्क फोर्स ने प्रस्तावित संरचना को सर्वसम्मति से पारित किया।

डॉ. रावत ने बताया कि एनईपी-2020 की सिफारिशों के तहत कुल 297 टास्क निर्धारित हैं, जिनमें से 202 टास्क राज्यों की ओर से लागू किए जाने हैं। इसी क्रम में यह बदलाव किया गया है।


साप्ताहिक 32 घंटे का शैक्षणिक दिवस

नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक सप्ताह 32 घंटे का शैक्षणिक दिवस भी अनिवार्य किया गया है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ ही उन्हें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाना है।


पांच भागों में बंटी नई पाठ्यचर्या

राज्य पाठ्यचर्या की संरचना को पांच हिस्सों में बांटा गया है:

  1. शिक्षा के व्यापक लक्ष्य – उद्देश्य, मूल्य, कौशल और ज्ञान की स्पष्टता।

  2. विषय एवं समावेशिता – मूल्य आधारित शिक्षा, पर्यावरणीय संवेदनशीलता, परामर्श और तकनीकी का समावेश।

  3. शिक्षण मानक व मूल्यांकन – विषयवस्तु का चयन और दिशा-निर्देश।

  4. विद्यालयी संस्कृति – गतिविधियां, सामाजिक मूल्यों और पर्यावरणीय वातावरण पर जोर।

  5. शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र – सेवा-शर्तें, भौतिक ढांचा और समुदाय की भूमिका।


छात्रों के सर्वांगीण विकास पर फोकस

शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने कहा कि नई पाठ्यचर्या में कक्षा संचालन, परीक्षा, सह-शैक्षणिक गतिविधियों और बस्ता रहित दिवसों का संतुलन विद्यार्थियों के समग्र विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।

बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव शिक्षा रविनाथ रामन, सचिव संस्कृति युगल किशोर पंत, अपर सचिव उच्च शिक्षा मनुज गोयल, निदेशक एससीईआरटी बंदना गर्ब्याल समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।


 साफ है कि नए शैक्षणिक सेशन से उत्तराखंड के बच्चों को केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि सह-शैक्षणिक और सामाजिक गतिविधियों में भी बराबर मौके मिलेंगे।

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