देहरादून, 4 सितंबर 2025
उत्तराखंड के निजी स्कूलों में अब छात्रों को भारी बस्तों के बोझ से मुक्ति दिलाने की तैयारी शुरू हो गई है। शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि जो भी विद्यालय तय मानकों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और यहां तक कि उनका अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) भी रद्द किया जा सकता है।
5396 निजी स्कूलों पर निगरानी
राज्य में कुल 5396 निजी विद्यालय संचालित हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से इन सभी को बस्ते के वजन से जुड़े मानकों का कड़ाई से पालन कराने के आदेश दिए गए हैं।
पिछले वर्ष जारी अधिसूचना के अनुसार, कक्षा 1 से 12 तक के लिए बस्ते का वजन तय है, लेकिन निजी स्कूल इसका पालन नहीं कर रहे।
कक्षा अनुसार तय बस्ते का भार
शिक्षा विभाग ने बस्ते का भार कक्षानुसार इस प्रकार निर्धारित किया है:
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कक्षा 1 और 2: 1.6 – 2.2 किलो
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कक्षा 3 से 5: 1.7 – 2.5 किलो
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कक्षा 6 और 7: 2 – 3 किलो
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कक्षा 8: 2.5 – 4 किलो
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कक्षा 9 और 10: 2.5 – 4.5 किलो
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कक्षा 11 और 12: 3.5 – 5 किलो
सरकारी स्कूल बेहतर, निजी स्कूलों में स्थिति चिंताजनक
निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी स्कूलों में बस्तों का बोझ अपेक्षाकृत कम है, लेकिन निजी विद्यालयों में स्थिति गंभीर पाई गई है। इसलिए विभाग ने चेतावनी दी है कि जो भी स्कूल इन मानकों का पालन नहीं करेंगे, उन पर विभागीय कार्रवाई तय है।
बच्चों की रीढ़ और स्वास्थ्य पर असर
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक वजन वाले बस्ते बच्चों की रीढ़ और शारीरिक विकास पर गंभीर असर डालते हैं। लंबे समय से अभिभावक भी इस समस्या को उठाते आ रहे हैं।
इसी को देखते हुए विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप संशोधित मानक लागू किए हैं।
‘बस्तारहित दिवस’ भी अनिवार्य
राज्य सरकार पहले ही हर महीने के अंतिम शनिवार को ‘बस्तारहित दिवस’ (Bagless Day) लागू कर चुकी है। इसका उद्देश्य बच्चों पर पढ़ाई का बोझ घटाकर उन्हें अधिक मैत्रीपूर्ण शिक्षा वातावरण देना है।
सीबीएसई व आईसीएसई स्कूलों पर निगरानी
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने कहा कि सीबीएसई और आईसीएसई से संबद्ध कई निजी विद्यालय बस्ता मानकों का पालन नहीं कर रहे। उन्हें पूर्व शासनादेश के हवाले से चेतावनी दी गई है और पालन न करने पर कड़ी कार्रवाई होगी।