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Uttarakhand: पेपर लीक मामले में सीबीआई ने दर्ज किया मुकदमा, खालिद, सुमन, साबिया और हीना बने आरोपी

स्थान – देहरादून | तिथि – 28 अक्टूबर 2025


सीबीआई की बड़ी कार्रवाई, देर रात दर्ज हुआ केस

देहरादून।
उत्तराखंड में स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में सीबीआई ने देर रात मुकदमा दर्ज कर लिया है।
यह मामला 21 सितंबर 2025 को आयोजित उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र लीक होने की बात सामने आई थी।

सीबीआई ने इस प्रकरण में खालिद, सुमन, साबिया और हीना को आरोपी बनाया है।
देहरादून एसीबी शाखा में नकल विरोधी कानून (Anti-Cheating Act) के तहत केस दर्ज किया गया है, जबकि जांच की जिम्मेदारी असिस्टेंट सुप्रिटेंडेंट राजीव चंदोला को सौंपी गई है।


परीक्षा के तुरंत बाद भड़का था छात्रों का आक्रोश

गौरतलब है कि 21 सितंबर की रात को ही पेपर लीक की खबर फैलने लगी थी।
परीक्षार्थियों ने देहरादून परेड ग्राउंड के पास धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था और परीक्षा की शुचिता पर सवाल उठाए थे।
लगातार कई दिनों तक युवाओं और प्रशासन के बीच बातचीत हुई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका।


पुलिस जांच से लेकर आयोग की कार्रवाई तक

इस बीच पुलिस ने प्रारंभिक जांच शुरू की और दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया।
राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एकल जांच आयोग गठित किया था।
हालांकि, युवाओं की मांग थी कि इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जाए और परीक्षा को रद्द किया जाए


सीएम धामी की हस्तक्षेप से खुला रास्ता

लगातार विरोध के बीच 29 सितंबर 2025 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद धरनास्थल पहुंचे और युवाओं से संवाद किया।
सीएम ने मौके पर ही सीबीआई जांच की संस्तुति की घोषणा की।
इसके अगले ही दिन, 30 सितंबर को शासन की ओर से औपचारिक पत्र जारी किया गया, जिसके बाद केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया।


केंद्र से मिली मंजूरी, सीबीआई ने संभाली जांच

राज्य सरकार की संस्तुति पर डीओपीटी (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) ने अब आधिकारिक रूप से सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी है।
इसके साथ ही सीबीआई ने देहरादून एसीबी शाखा में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।


भर्ती परीक्षा रद्द, नई पारदर्शी प्रक्रिया की तैयारी

मुख्यमंत्री धामी ने हाल ही में परीक्षा को रद्द करने की घोषणा करते हुए कहा था कि राज्य सरकार पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अब सभी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सीबीआई अपनी जांच में लीक के स्रोत और पूरे नेटवर्क का खुलासा कब तक कर पाती है।


निष्कर्ष

उत्तराखंड में पेपर लीक का यह मामला एक बार फिर भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
सीबीआई की जांच से न केवल इस पूरे प्रकरण की परतें खुलने की उम्मीद है, बल्कि यह भी तय होगा कि भविष्य में भर्ती परीक्षाओं में इस तरह की अनियमितताएं दोबारा न हों
राज्य के युवाओं की निगाहें अब सीबीआई की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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