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Uttarakhand: शराबी पिता की दरिंदगी से तंग आई बेटियां, घर छोड़कर भागीं – दिल्ली से सकुशल बरामद

विकासनगर, 22 अगस्त 2025।
उत्तराखंड के देहरादून जनपद में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। थाना सेलाकुई क्षेत्र की बस्ती से तीन किशोरियां घर छोड़कर दिल्ली भाग गईं। वजह बेहद चौंकाने वाली है—एक किशोरी का आरोप है कि उसका पिता शराब पीकर उसे मारता-पीटता था, जबकि दूसरी के पिता ने उस पर मोबाइल चोरी का झूठा इल्जाम लगाया था।


नाराज होकर घर से निकलीं तीन सहेलियां

पुलिस के अनुसार, 15 वर्षीय एक किशोरी, उसकी 18 वर्षीय सहेली और 12 साल की एक अन्य सहेली 20 अगस्त की शाम घर से अचानक लापता हो गईं। घरवालों ने रिश्तेदारों और आस-पड़ोस में खूब तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार, एक महिला ने थाना सेलाकुई में तहरीर देकर बेटी और उसकी सहेलियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।


पुलिस ने दर्ज किया अपहरण का मुकदमा

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने इसे अपहरण का मामला मानकर मुकदमा दर्ज किया। एसएसपी अजय सिंह के निर्देश पर थानाध्यक्ष पी.डी. भट्ट ने तुरंत एक विशेष टीम गठित की। टीम ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, मुखबिरों को सक्रिय किया और सोशल मीडिया व सर्विलांस की मदद से सुराग जुटाए।


12 घंटे में दिल्ली से बरामद

पुलिस की तेज कार्रवाई रंग लाई। शुक्रवार को पुलिस टीम ने तीनों नाबालिग लड़कियों को दिल्ली के आनंद विहार इलाके से सकुशल बरामद कर लिया। पूछताछ में पता चला कि तीनों सहेलियां घर से नाराज होकर दिल्ली गई थीं और वहां से वृंदावन जाने की योजना बना रही थीं।


“पिता शराब पीकर पीटता था” – किशोरी का खुलासा

बरामदगी के बाद जब पुलिस ने किशोरियों से पूछताछ की तो उन्होंने अपने घर से भागने की वजहें बताईं।

  • एक लड़की ने कहा कि उसका पिता शराब पीकर उसे पीटता है।
  • दूसरी ने बताया कि उसके पिता उस पर मोबाइल चोरी का झूठा आरोप लगाते हैं।
  • तीसरी सहेली ने भी घरेलू नाराजगी के चलते घर छोड़ने का फैसला किया।

परिजनों ने जताया राहत और पुलिस का आभार

तीनों किशोरियों को पुलिस ने परिजनों के सुपुर्द कर दिया। बेटियों को सुरक्षित देखकर परिवार के चेहरे खिल उठे। स्वजनों ने 12 घंटे के भीतर त्वरित कार्रवाई कर बच्चों को सकुशल बरामद करने पर पुलिस की सराहना की।


  • यह मामला एक बार फिर सामने लाता है कि घरेलू कलह और अभिभावकों के व्यवहार का बच्चों के मन पर कितना गहरा असर पड़ता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे मामलों में परिवारों को संवाद और समझ के जरिए रिश्तों को बचाने की जरूरत है।

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