देहरादून | 22 जून 2025
इस वर्ष की कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड प्रशासन ने सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के लिहाज़ से बहुआयामी योजना तैयार की है। हरिद्वार में होने वाली इस विशाल धार्मिक यात्रा की निगरानी अब जमीन ही नहीं, बल्कि आसमान से भी की जाएगी। इसके लिए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) की ओर से ‘नभ नेत्र’ ड्रोन तैनात किया जाएगा, जो भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों, घाटों और सड़कों पर हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखेगा।
ड्रोन से हाईटेक निगरानी, परिंदा भी न मार सके पर
- ‘नभ नेत्र’ ड्रोन हरिद्वार में भीड़भाड़ वाले स्थलों, पुलों, घाटों और कांवड़ रूट की लाइव निगरानी करेगा।
- यह ड्रोन राज्य और जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से जुड़ा रहेगा, जहां इसके विजुअल्स की 24×7 मॉनिटरिंग की जाएगी।
- किसी भी आपात स्थिति या भीड़ के असामान्य मूवमेंट की तत्काल पहचान और प्रतिक्रिया संभव होगी।
‘सचेत’ ऐप: हर कांवड़िए की जेब में एक अलर्ट सिस्टम
- कांवड़ यात्रियों के मोबाइल में ‘सचेत ऐप’ अनिवार्य रूप से डाउनलोड कराया जाएगा।
- इस ऐप के माध्यम से यात्रियों को मौसम की तत्काल जानकारी, बाढ़/आपदा अलर्ट, और रूट से जुड़ी सूचनाएं मिलेंगी।
- साथ ही यात्रियों को आपातकालीन टोल फ्री नंबर 112, 1070 और 1077 की जानकारी दी जाएगी।
सुरक्षा के मोर्चे पर तैनात रहेंगी विशेष टीमें
- हरिद्वार में तैनात होंगी SDRF, NDRF और जल पुलिस की टीमें
- गंगा घाटों पर 60 प्रशिक्षित ‘आपदा मित्रों’ को भी तैनात किया जाएगा
- NDRF की एक स्थायी टीम हरिद्वार में मौजूद रहेगी, जबकि जरूरत पड़ने पर देहरादून से अतिरिक्त टीमें भेजी जाएंगी
वन्य जीवों से सुरक्षा भी अहम एजेंडे में
कांवड़ यात्रा के दौरान यात्रियों की जंगलों से गुजरने वाले रूट पर सुरक्षा को देखते हुए, वन विभाग ने संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर ली है। इन स्थानों पर विशेष गश्त, चेतावनी बोर्ड और स्थानीय टीमों की तैनाती सुनिश्चित की जाएगी।
प्रशासन का समन्वय और IRS प्रणाली का उपयोग
शनिवार को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद स्वरूप ने तैयारियों की समीक्षा करते हुए बताया:
- Incident Response System (IRS) की अधिसूचना जारी कर दी गई है।
- सभी जिलों को आपदा से निपटने के लिए IRS प्रणाली के तहत ही कार्य योजना बनाने को कहा गया है।
- हर विभाग से ‘सिंगल प्वाइंट ऑफ कॉन्टेक्ट’ अधिकारी नामित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
यात्रा की तारीखें:
कांवड़ यात्रा की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से होगी। यह यात्रा हर वर्ष सावन मास में होती है और उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से लाखों श्रद्धालु गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचते हैं।
निष्कर्ष:
इस बार की कांवड़ यात्रा सिर्फ आस्था का उत्सव नहीं, बल्कि तकनीक, सुरक्षा और समन्वय का संगम बनकर सामने आएगी। ‘नभ नेत्र’ की नजर, ‘सचेत’ की सूचना और SDRF-NDRF की सतर्कता से इस यात्रा को पहले से अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित बनाया जा रहा है।
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