उत्तराखंड | अपडेट: 27 जून 2025
उत्तराखंड में अब घटिया और नकली दवाओं के कारोबार पर सरकार ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) विभाग ने पूरे प्रदेश में दवा कंपनियों, विक्रेताओं और गोदामों पर विशेष निरीक्षण अभियान शुरू कर दिया है। अगर किसी भी दवा में गुणवत्ता की कमी पाई गई तो निर्माता और विक्रेता दोनों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
फार्मा सेक्टर में सघन जांच, सैंपल भेजे जा रहे लैब
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त डॉ. आर. राजेश के निर्देश पर अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में यह अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेशभर में दवा दुकानों, गोदामों और निर्माण इकाइयों से औषधियों के नमूने लिए जा रहे हैं, जिन्हें राजकीय विश्लेषक प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिए भेजा गया है।
यदि जांच में कोई दवा गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरती, तो संबंधित कंपनी या विक्रेता के खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम 1940 के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
देशभर में संयुक्त छापेमारी, फर्जी निर्माण पर शिकंजा
अभियान केवल राज्य तक सीमित नहीं है। ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि कुछ असामाजिक तत्व उत्तराखंड की फार्मा कंपनियों के नाम का फर्जी इस्तेमाल कर अन्य राज्यों में नकली दवाओं का निर्माण कर रहे हैं। इसके खिलाफ तेलंगाना, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में संबंधित राज्य औषधि नियंत्रकों के साथ मिलकर संयुक्त छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है।
2023-2025: 53 केस, 89 गिरफ्तार, 33 कंपनियों को नोटिस
एफडीए के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2023 से 2025 के बीच नकली और घटिया दवाओं के 53 मामलों में 89 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है। इनमें कई अंतरराज्यीय गिरोहों के सदस्य भी शामिल हैं।
- 33 फार्मा कंपनियों को उत्पादन बंद करने के नोटिस
- 65 से अधिक आरोपियों की पहचान, एनडीपीएस और नकली दवा अधिनियमों के तहत कार्रवाई
- नकली दवाओं की जब्ती और वितरण नेटवर्क पर फोकस
जनस्वास्थ्य के साथ नहीं होगा कोई समझौता
एफडीए विभाग का स्पष्ट संदेश है: “जन स्वास्थ्य सर्वोपरि है और इसके साथ किसी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा।” अभियान का उद्देश्य बाजार में बिक रही दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है, जिससे आम जनता को सुरक्षित और प्रभावी दवाइयां मिल सकें।
Samachar India News की अपील:
दवा विक्रेताओं और फार्मा कंपनियों से अनुरोध है कि वे सभी वैधानिक मानकों का पालन करें। वहीं, आम नागरिक नकली दवाओं की जानकारी मिलने पर तुरंत स्थानीय औषधि निरीक्षक या एफडीए कार्यालय से संपर्क करें।