देहरादून, 9 सितंबर 2025
उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अब बेहतर होती नजर आ रही है। केंद्र सरकार के सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (SRS) 2023 की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में नवजात मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में तीन प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है।
सर्वे में सामने आए आंकड़े
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वर्ष 2021 में नवजात मृत्यु दर (0–28 दिन तक) प्रति हजार जन्म 17 थी, जो 2023 में घटकर 14 पर आ गई।
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शिशु मृत्यु दर (1 वर्ष तक) 2021 में 23 थी, जो 2023 में घटकर 20 हो गई।
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पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 2021 में 27 थी, जो 2023 में घटकर 23 दर्ज की गई।
ये आंकड़े स्वास्थ्य सेवाओं में हुए सुधार की गवाही देते हैं।
संस्थागत प्रसव और टीकाकरण का बड़ा असर
स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इस सकारात्मक बदलाव का श्रेय राज्य सरकार की उन योजनाओं को जाता है जिनमें संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित किया गया और गर्भवती महिलाओं के 100 प्रतिशत टीकाकरण पर जोर दिया गया। आशा कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
अस्पतालों में बढ़ाई गई सुविधाएं
प्रदेश के अस्पतालों में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए कई नई सुविधाएं जोड़ी गई हैं। इनमें शामिल हैं:
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नवजात शिशु आइसीयू (NICU)
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स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (SNCU)
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न्यूबॉर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (NBSU)
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नवजात शिशु देखभाल कार्नर
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कंगारू मदर केयर यूनिट (KMC)
इन सुविधाओं ने गंभीर रूप से बीमार नवजात शिशुओं को बचाने में अहम योगदान दिया है।
मातृ मृत्यु दर में भी कमी
सर्वे रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि मातृ मृत्यु दर में कमी आई है। यानी प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं ने माताओं और बच्चों दोनों की जीवन रक्षा में सफलता हासिल की है।
स्वास्थ्य मंत्री ने की आशा कार्यकर्ताओं की सराहना
उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा,
“रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट खासी उत्साहजनक है। यह कमी इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुदृढ़ हुई हैं। इसमें सबसे अहम योगदान आशा कार्यकर्ताओं का है, जिन्होंने गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में दिन-रात मेहनत की।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में शिशु मृत्यु दर को और भी कम से कम किया जा सके।