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Uttarakhand News | बढ़ती सेल्फी दुर्घटनाओं पर सख्ती: राज्य के खतरनाक स्थलों को किया जाएगा ‘नो सेल्फी जोन’ घोषित

उत्तराखंड | तिथि: 19 जून 2025


उत्तराखंड में खतरनाक स्थलों पर अब मनमानी सेल्फी नहीं चल पाएगी। बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के ऐसे सभी संवेदनशील स्थलों को ‘नो सेल्फी जोन’ घोषित किया जाएगा।

राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन द्वारा सभी जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे गए हैं। इस आदेश में बताया गया है कि जिन स्थानों पर सेल्फी लेते वक्त जान का खतरा होता है, उन्हें चिन्हित कर वहाँ सेल्फी लेना प्रतिबंधित किया जाएगा।


सेल्फी का क्रेज बन रहा जानलेवा

आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि पाने की होड़ में लोग अपनी जान की बाज़ी लगा रहे हैं।
खास तौर पर युवा वर्ग जंगलों, झरनों, नदी किनारे, ऊँचाई वाली चट्टानों, पुलों और रेलवे ट्रैक जैसे खतरनाक स्थानों पर जाकर सेल्फी ले रहा है, जिससे कई लोग हादसे के शिकार हो चुके हैं।

हाल के वर्षों में उत्तराखंड में सेल्फी के चक्कर में दर्जनों दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई युवाओं की जान गई है।


सेफ सेल्फी जोन होंगे विकसित

राज्य सरकार की नई योजना के तहत:

  • सुरक्षित स्थलों को चिन्हित कर उन्हें “सेल्फी जोन” के रूप में विकसित किया जाएगा।

  • इन स्थलों के संचालन और रख-रखाव की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों, महिला स्वयं सहायता समूहों व ग्राम पंचायतों को दी जा सकती है।

  • इन स्थलों पर कार पार्किंग, टॉयलेट, अल्पाहार केंद्र और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।


स्थानीय प्रशासन को निर्देश

सचिव सुमन ने अपने पत्र में यह भी कहा कि:

“नो सेल्फी जोन घोषित करने के साथ-साथ लोगों को जागरूक भी किया जाए। प्रशासन और पुलिस को चाहिए कि वो खतरनाक स्थानों पर संकेत बोर्ड, चेतावनी चिन्ह और बैरिकेडिंग लगाएं। साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से भी प्रचार अभियान चलाया जाए।”


किन स्थानों पर लगेगा प्रतिबंध?

नो सेल्फी जोन में निम्नलिखित स्थान शामिल किए जा सकते हैं:

  • तेज बहाव वाली नदियाँ और झरने

  • तीव्र ढलान वाली पहाड़ियाँ

  • रेलवे ट्रैक और पुल

  • वन्य जीवों वाले क्षेत्र

  • ऊँची इमारतें या अधूरे निर्माण स्थल

  • व्यस्त या घुमावदार सड़कें


अगला कदम: जिलेवार सर्वे

प्रत्येक जिले में प्रशासन स्थानीय निकायों और ग्रामीण संस्थाओं के सहयोग से एक सर्वे रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसमें खतरनाक स्थलों की सूची बनाई जाएगी। इसके आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।


निष्कर्ष:
राज्य सरकार का यह निर्णय समय की मांग है, जिससे न केवल लोगों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि राज्य की पर्यटन छवि को भी संरक्षित रखा जा सकेगा।

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