एक दशक बाद फिर से ऋषिकेश बाईपास के रास्ते की तलाश होगी। यमुनोत्री मार्ग पर ओजरी में प्रस्तावित टनल की जगह अब वैकल्पिक मार्ग पर फोकस किया जाएगा।
सरकारी सिस्टम कामकाज कैसे होता है, उसे राष्ट्रीय राजमार्ग के प्रस्तावित ऋषिकेश बाईपास और ओजरी में टनल की योजना से समझा जा सकता है। इन योजनाओं पर लंबी कवायद के बाद धरातल पर काम शुरू होने की आस बढ़ी थी लेकिन अब फिर से ब्रेक लग गया है।
ऋषिकेश बाईपास के लिए नए सिरे से नए रास्ते की तलाश होगी, तो वहीं अब ओजरी में ट्विन टनल की जगह सड़क निर्माण की संभावना को देखा जा रहा है। जबकि इस योजना को तैयार करने की बाहरी संस्था से कंसलटेंसी प्राप्त करने में ही करीब 15 लाख खर्च हो गए।
10 साल पहले ऋषिकेश में बाईपास की योजना बनाई गई
अब नई योजनाएं बनती हैं तो फिर बाहरी संस्था के माध्यम से कंसलटेंसी प्राप्त की जाती है तो उसमें फिर से लाखों खर्च होंगे। ऋषिकेश में बाईपास की आवश्यकता को काफी समय से महसूस किया जाता रहा है। इसी क्रम में राष्ट्रीय राजमार्ग ने 10 साल पहले ऋषिकेश में बाईपास की योजना बनाई गई।
अब नई योजनाएं बनती हैं तो फिर बाहरी संस्था के माध्यम से कंसलटेंसी प्राप्त की जाती है तो उसमें फिर से लाखों खर्च होंगे। ऋषिकेश में बाईपास की आवश्यकता को काफी समय से महसूस किया जाता रहा है। इसी क्रम में राष्ट्रीय राजमार्ग ने 10 साल पहले ऋषिकेश में बाईपास की योजना बनाई गई।
इस प्रस्तावित 17 किमी लंबे बाइपास में दो तरह से काम होना था। इसमें पहले नेपाली फार्म-नटराज चौक होते हुए ढालवाला तक एलिवेटेड सड़क बनाई जानी थी। इसके बाद से ब्रहमपुरी तक टनल बनाए जाने की योजना थी। पिछले साल एचपीसी कमेटी की अनुमति मिल गई थी। इस योजना पर 1550 करोड़ खर्च होने थे।