विभागीय आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो इस बार 15 फरवरी को अग्निकाल प्रारंभ होने से लेकर अब तक वनों में आग की 184 घटनाएं हुई, जिनमें 210.79 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। पिछले तीन वर्षों में इस अवधि में वनों में आग की घटनाओं व क्षति के लिहाज से यह सबसे कम है। इससे पहले वर्ष 2024 में इसी अवधि में वनों में आग की 1040 घटनाओं में 1420.54 हेक्टेयर और वर्ष 2023 में 296 घटनाओं में 353.81 हेक्टेयर जंगल झुलसा था। 

असल में अग्निकाल प्रारंभ होने से पहले ही सरकार ने इस बार वनों में अग्नि नियंत्रण में जनसहभागिता बढ़ाने पर जोर दिया। इसके तहत अति संवेदनशील श्रेणी में शामिल चीड़ बहुल क्षेत्रों में ग्राम वनाग्नि प्रबंधन समितियां गठित की गईं और इन्हें प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया।

साथ ही अग्नि नियंत्रण के लिए फारेस्ट फायर एप समेत अन्य तकनीकी कदम भी उठाए गए, ताकि अग्नि दुर्घटना की सूचना तत्काल मिलते ही आग पर काबू पाने में वन कर्मी जुट सकें। इसके बेहतर परिणाम आए हैं। यही नहीं, इस बार नियमित अंतराल में हो रही वर्षा ने भी वनों में अग्नि नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाई है।

छह साल में जंगल की आग

3425.05 

वर्ष प्रभावित क्षेत्र (हेक्टेयर में)
2025 (अब तक) 210.79
2024 1773
2023 933.55
2022 3425.05
2021 3943.89
2020 172.69

अग्निकाल शुरू होने से पहले इस बार जनजागरूकता अभियान वृहद स्तर पर चलाया गया। सामुदायिक संस्थाओं को भी साथ लिया गया। ग्राम वनाग्नि प्रबंधन समितियों के लिए प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था की गई। आग की घटनाओं की सूचना तुरंत मिले, इसके लिए तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है। मानीटरिंग ठीक से हो रही है और मौसम भी साथ दे रहा है। – निशांत वर्मा, अपर प्रमुख वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन।